पर्यावरण लेखा परीक्षा नियम 2025: भारत में पर्यावरण अनुपालन की निगरानी में बड़ा सुधार

भारत सरकार के “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” और ट्रस्ट-बेस्ड गवर्नेंस के संकल्प के अनुरूप, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने 29 अगस्त 2025 को पर्यावरण लेखा परीक्षा नियम, 2025 अधिसूचित किए हैं। यह कदम भारत में पर्यावरणीय अनुपालन की निगरानी को सशक्त, पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार माना जा रहा है।
पर्यावरण अनुपालन में व्याप्त चुनौतियाँ
वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986, वन संरक्षण अधिनियम 1980, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972, और ग्रीन क्रेडिट नियम 2023 जैसे कानूनों के अनुपालन की निगरानी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), राज्य बोर्ड, और मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय कार्यरत हैं। परंतु इन संस्थाओं को मानव संसाधन, तकनीकी क्षमताओं और आधारभूत ढांचे की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे निगरानी की प्रक्रिया प्रभावी नहीं हो पा रही।
पर्यावरण लेखा परीक्षा नियम 2025 की मुख्य विशेषताएँ
- पंजीकृत पर्यावरण लेखा परीक्षक (REA): केवल MoEFCC द्वारा प्रमाणित और पंजीकृत लेखा परीक्षक ही पर्यावरण ऑडिट कर पाएंगे।
- EADA की भूमिका: पर्यावरण लेखा परीक्षा नामित एजेंसी (EADA) प्रमाणन, पंजीकरण, प्रशिक्षण, अनुशासनात्मक कार्रवाई और ऑनलाइन पंजी का रखरखाव करेगी।
- सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया: या तो योग्यता और अनुभव के आधार पर मूल्यांकन या एक राष्ट्रीय परीक्षा (NCE) के माध्यम से।
- ऑडिटिंग की प्रक्रिया: REAs को परियोजनाओं के साथ रैंडम असाइनमेंट प्रणाली के माध्यम से जोड़ा जाएगा ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
- उत्तरदायित्व: सैंपलिंग, विश्लेषण, ग्रीन क्रेडिट नियमों के तहत सत्यापन, अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के अंतर्गत ऑडिट, और अन्य संबंधित कार्य।
नियमों के प्रमुख हितधारक
- प्रमाणित पर्यावरण लेखा परीक्षक (CEA): वे व्यक्ति जो अनुभव आधारित RPL या परीक्षा द्वारा पात्रता प्राप्त करते हैं।
- पंजीकृत पर्यावरण लेखा परीक्षक (REA): वे प्रमाणित पेशेवर जो अधिकृत रूप से ऑडिट कर सकते हैं।
- MoEFCC: नियमों का पर्यवेक्षण एवं आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करना।
- CPCB/राज्य बोर्ड/क्षेत्रीय कार्यालय: निरीक्षण एवं सत्यापन की अपनी पारंपरिक भूमिका में कार्यरत रहेंगे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ● पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 भारत का प्रमुख पर्यावरणीय कानून है जो औद्योगिक प्रदूषण की निगरानी करता है।
- ● ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम, 2023 भारत में पर्यावरणीय कार्यों के लिए प्रोत्साहन आधारित प्रणाली की शुरुआत करता है।
- ● Eco-Mark सर्टिफिकेशन उपभोक्ताओं को पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों की पहचान के लिए दिया जाता है।
- ● EPR (Extended Producer Responsibility) के अंतर्गत उत्पादकों को उनके उत्पादों के कचरे के प्रबंधन की जिम्मेदारी दी जाती है।
अपेक्षित परिणाम और प्रभाव
- स्वतंत्र और प्रमाणित निगरानी प्रणाली: अब अनुपालन की निगरानी किसी एक संस्था पर निर्भर न होकर प्रमाणित पेशेवरों द्वारा की जाएगी।
- नीतिगत निर्णयों में डेटा आधारित दृष्टिकोण: नियमित ऑडिट से उत्सर्जन, कचरा, और संसाधन उपयोग का डेटा एकत्र होगा जो नीति निर्माण में सहायक होगा।
- पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि: रैंडम असाइनमेंट और स्वतंत्र ऑडिट प्रणाली से विश्वास बहाल होगा और हितों के टकराव को रोका जा सकेगा।
- सरल व्यवसाय संचालन: पारदर्शी और तटस्थ ऑडिट प्रक्रिया व्यापारिक इकाइयों के लिए अनावश्यक अड़चनों को कम करेगी।
पर्यावरण लेखा परीक्षा नियम 2025 केवल एक प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि यह भारत के सतत विकास के दृष्टिकोण में एक ठोस कदम है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण को प्रभावी बनाएगा, बल्कि पारदर्शिता, जवाबदेही और डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में भी मजबूत आधार प्रदान करेगा।