पर्यावरण दिवस से पहले चेतावनी: ‘भारत गंभीर पर्यावरण संकट के दौर में’, CSE की रिपोर्ट का खुलासा

विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) की पूर्व संध्या पर दिल्ली स्थित थिंक टैंक Centre for Science and Environment (CSE) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट State of India’s Environment in Figures 2025 जारी की, जिसमें भारत की पर्यावरणीय, कृषि, सार्वजनिक स्वास्थ्य और मानव विकास की स्थिति को लेकर गंभीर चेतावनी दी गई है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

रिपोर्ट ने चार प्रमुख विषयों — पर्यावरण, कृषि, सार्वजनिक स्वास्थ्य और मानव विकास — में 48 संकेतकों के आधार पर देश के 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग की।

  • आंध्र प्रदेश ने पर्यावरण प्रबंधन में सर्वोच्च स्थान पाया, लेकिन नदी प्रदूषण और सीवेज ट्रीटमेंट में पिछड़ा रहा।
  • सिक्किम ने जैविक खेती और भूमि उपयोग में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, परंतु किसान कल्याण में कमजोर रहा।
  • गोवा सार्वजनिक स्वास्थ्य और आधारभूत संरचना में सबसे आगे रहा, लेकिन अस्पतालों की संख्या और महिला श्रम भागीदारी में कमी रही।

चरम मौसम और आंतरिक विस्थापन

  • 2024 भारत का अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा।
  • 88% दिन चरम मौसम की घटनाएं हुईं
  • लगभग 54 लाख लोग 2024 में आंतरिक रूप से विस्थापित हुए, जिनमें से आधा हिस्सा असम से था।
  • बाढ़ से दो-तिहाई विस्थापन हुआ।

जल, वायु और भूमि पर बढ़ता दबाव

  • 135 जिलों में भूजल 40 मीटर से अधिक गहराई से निकाला जा रहा है — यह 2014 से दोगुना है।
  • देश के आधे से अधिक नदी स्थलों में भारी धातु प्रदूषण पाया गया।
  • ई-कचरे में 147% वृद्धि, प्लास्टिक कचरा 4.14 मिलियन टन तक पहुंचा।

वन विनाश और मानव-वन्यजीव संघर्ष

  • 29,000 हेक्टेयर वन भूमि 2023-24 में विकास कार्यों के लिए हटाई गई — सबसे ज्यादा झारखंड और उत्तर प्रदेश में।
  • हाथियों के हमलों से मानव मृत्यु 2020-23 की तुलना में 36% बढ़ी
  • टाइगर हमलों से 82 लोगों की मृत्यु हुई — 2020 के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा।

वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य संकट

  • 2021 के बाद से 13 भारतीय राजधानियों में हर तीन में एक दिन वायु असुरक्षित रही।
  • दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा 8 वर्ष कम, लखनऊ में 6 वर्ष कम।
  • देश में 3.06 मिलियन अतिरिक्त मृत्यु महामारी के दौरान दर्ज हुईं — सरकारी COVID मृत्यु दर से छह गुना।

आर्थिक और सामाजिक असमानताएँ

  • 2017-2023 के बीच वेतनभोगी और स्वरोजगार में आय घटी
  • 73% कार्यबल अनौपचारिक, और आधे से अधिक नियमित कर्मचारियों को बुनियादी सुरक्षा नहीं
  • महिला रोजगार दर पुरुषों की तुलना में बेहद कम — केवल 20% महिलाएं पूर्णकालिक कार्यरत।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • CSE (Centre for Science and Environment): पर्यावरण आधारित अनुसंधान और नीति विश्लेषण करने वाला प्रमुख संगठन।
  • Down To Earth: CSE का सह-प्रकाशन, पर्यावरण रिपोर्टिंग में अग्रणी।
  • India’s GHG Emissions: वैश्विक हिस्सेदारी 2023 में 7.8% रही — 1970 के बाद सबसे अधिक।
  • Legacy Waste: 2026 की समयसीमा के बावजूद अब तक केवल 50% कचरे का निस्तारण हुआ।

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