परियोजना वित्त के लिए आरबीआई की नई दिशानिर्देश: निर्माणाधीन रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचे पर कम प्रावधान दरें लागू

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 19 जून को ‘परियोजना वित्त’ (Project Finance) के लिए अंतिम दिशानिर्देश जारी किए, जो 1 अक्टूबर 2025 से प्रभाव में आएंगे। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य ऋणदाताओं (Regulated Entities – REs) के लिए परियोजनाओं को वित्तपोषित करने हेतु एक संस्थागत ढांचा तैयार करना है, जिससे जोखिमों का समुचित प्रबंधन हो सके।

प्रावधान आवश्यकताओं में बड़ी राहत

नए दिशानिर्देशों के अनुसार:

  • निर्माणाधीन व्यावसायिक रियल एस्टेट (CRE) के लिए सामान्य प्रावधान दर 1.25% होगी।
  • निर्माणाधीन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और अन्य परियोजनाओं के लिए यह दर 1% रखी गई है।

यह प्रावधान दर पहले के मसौदे में प्रस्तावित 5% की तुलना में काफी कम है। मसौदे में प्रावधान दरें क्रमशः 5% (निर्माण चरण), 2.5% (संचालन चरण) और 1% (नकद प्रवाह प्रारंभ होने पर) रखी गई थीं।

संचालन चरण में प्रावधान और DCCO से संबंधित नियम

  • संचालन शुरू होने के बाद, प्रावधान दरों में और भी राहत दी गई है:

    • CRE के लिए 1%
    • CRE-Residential Housing (CRE-RH) के लिए 0.75%
    • अन्य परियोजनाओं के लिए 0.40%
  • यदि परियोजना का ‘Date of Commencement of Commercial Operations’ (DCCO) आगे बढ़ाया जाता है, तो:

    • प्रत्येक तिमाही देरी पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 0.375% और गैर-बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (जैसे CRE और CRE-RH) के लिए 0.5625% अतिरिक्त प्रावधान रखना होगा।

अन्य प्रमुख दिशानिर्देश

  • निर्माण के दौरान परियोजनाओं की सतत निगरानी और तनाव के संकेत मिलने पर समय रहते समाधान योजना शुरू करना अनिवार्य किया गया है।
  • किसी भी क्रेडिट इवेंट की रिपोर्टिंग CRILC (Central Repository of Information on Large Credit) में साप्ताहिक और मुख्य रिपोर्ट के रूप में करनी होगी।
  • परियोजना वित्त खाता यदि NPA में डाउनग्रेड होता है, तो इसे तभी अपग्रेड किया जा सकेगा जब परियोजना सफलतापूर्वक चालू हो जाए और कोई नया DCCO विस्तार अनुरोध प्राप्त न हो।

भूमि अधिग्रहण की अनिवार्यता

  • फंड वितरित करने से पहले, ऋणदाता को सुनिश्चित करना होगा कि:

    • PPP मॉडल के तहत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए कम से कम 50% भूमि उपलब्ध हो।
    • अन्य सभी परियोजनाओं के लिए यह सीमा 75% रखी गई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • आरबीआई ने पहली बार 3 मई 2024 को मसौदा दिशानिर्देश जारी किए थे।
  • RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा था कि इन नियमों को मार्च 2026 तक टाला जा सकता है, लेकिन अब यह 1 अक्टूबर 2025 से लागू होंगे।
  • RBI ने NPA उन्नयन को वास्तविक DCCO के बाद की प्रदर्शन आधारित बनाया है।
  • सभी ऋणदाता संस्थानों के लिए यह दिशानिर्देश सामंजस्यपूर्ण (harmonised) बनाए गए हैं।

निष्कर्ष

RBI की नई परियोजना वित्त दिशानिर्देश बैंकों और अन्य ऋणदाताओं को लचीलापन प्रदान करते हैं और जोखिम के समुचित मूल्यांकन के आधार पर निर्णय लेने की सुविधा देते हैं। साथ ही, ये नियम परियोजनाओं की समयबद्ध निगरानी और क्रेडिट जोखिम प्रबंधन को संस्थागत रूप देने की दिशा में एक ठोस पहल हैं। कम प्रावधान दरों से ऋणदाताओं पर वित्तीय दबाव भी कम होगा और परियोजनाओं को अधिक व्यवहारिक रूप से संचालित किया जा सकेगा।

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