पम्पा नदी को राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना में शामिल करने की पहल

भारत सरकार ने पम्पा नदी को राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP) के अंतर्गत लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह योजना देश की प्रमुख नदियों के संरक्षण के उद्देश्य से चलाई जा रही है, जिसके तहत केंद्र सरकार अब पम्पा नदी की स्थिति का आकलन कर उसके लिए विशेष संरक्षण परियोजना तैयार करेगी। जल शक्ति मंत्रालय ने इस दिशा में केरल सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
पम्पा नदी की धार्मिक और पर्यावरणीय महत्ता
पम्पा नदी केवल एक जलधारा नहीं, बल्कि केरल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का एक अहम हिस्सा है। यह नदी प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर से जुड़ी हुई है, जहां लाखों श्रद्धालु हर वर्ष तीर्थ यात्रा पर आते हैं। इसके अतिरिक्त, मरामोन और चेरुकोलपुझा जैसे धार्मिक सम्मेलनों के लिए भी यह नदी प्रमुख स्थल है। इन कारणों से इसे ‘दक्षिणा भागीरथी’ या ‘केरल की गंगा’ कहा जाता है।
सांसद कोडिकुन्निल सुरेश द्वारा केंद्र को भेजे गए प्रस्ताव के जवाब में अब केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से नदी की पर्यावरणीय स्थिति पर एक समग्र रिपोर्ट मांगी है। यह रिपोर्ट योजना के अंतर्गत परियोजना तैयार करने में सहायक होगी।
पम्पा नदी की वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ
वर्तमान में पम्पा नदी कई समस्याओं से जूझ रही है। स्थानीय निकायों द्वारा कचरे के अत्यधिक निष्पादन से कई हिस्सों में प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है। इसके अलावा, नदी किनारों का क्षरण और सुरक्षा दीवारों की कमी के कारण वर्षा ऋतु में तटों का ध्वंस आम बात है।
चेंगन्नूर नगरपालिका की चेयरपर्सन शोभा वर्गीज़ के अनुसार, नदी तटीय कटाव की गंभीर समस्या से ग्रसित है और इसके समाधान के लिए मजबूत तट रक्षण परियोजनाओं की आवश्यकता है। पहले राज्य सरकार ने ‘पम्पा रिवर बेसिन अथॉरिटी’ का प्रस्ताव दिया था, परंतु वह योजना आगे नहीं बढ़ सकी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- पम्पा केरल की तीसरी सबसे लंबी नदी है (176 किमी), केवल पेरियार और भरतपुझा इससे लंबी हैं।
- इसका उद्गम स्थल पश्चिमी घाट के पीरुमेडु पठार पर स्थित पुलाचिमलै पहाड़ी (5,410 फीट) है।
- यह नदी पथनमथिट्टा, इडुक्की और अलाप्पुझा जिलों से होकर बहती है।
- पम्पा नदी की घाटी का कुल क्षेत्रफल लगभग 2,235 वर्ग किलोमीटर है, और इसमें 14 सहायक नदियाँ मिलती हैं।
भविष्य की योजनाएँ और संभावनाएँ
राज्य सरकार की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार पम्पा नदी के लिए एक समर्पित संरक्षण परियोजना तैयार करेगी। इस परियोजना में अपशिष्ट जल की रोकथाम, नदी सफाई, जल शुद्धिकरण संयंत्रों की स्थापना, और नदी किनारों की सुरक्षा दीवारों का निर्माण शामिल होगा। इसके अतिरिक्त तकनीकी सहायता भी राज्य सरकार और स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को प्रदान की जाएगी।
पम्पा नदी को राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना में शामिल किया जाना केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक है। यदि यह योजना सुचारु रूप से क्रियान्वित होती है, तो यह केरल की सबसे पवित्र और ऐतिहासिक नदी को एक नया जीवन देने का कार्य करेगी।