न्यूज़ीलैंड के साउथ ऑकलैंड में नगर कीर्तन में बाधा: धार्मिक स्वतंत्रता और प्रवासी राजनीति पर फिर छिड़ी बहस
20 दिसंबर 2025 को न्यूज़ीलैंड के साउथ ऑकलैंड के मानेरूआ क्षेत्र में आयोजित सिख नगर कीर्तन के दौरान माओरी समुदाय द्वारा परंपरागत हाका प्रदर्शन और विरोध ने धार्मिक आयोजन में विघ्न उत्पन्न कर दिया। इस घटना ने भारत में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं जन्म दी हैं और प्रवासन, सांस्कृतिक समावेश और प्रवासी राजनीति पर एक बार फिर बहस को उभारा है।
धार्मिक जुलूस में बाधा और पुलिस介स्तक्षेप
सिखों के पवित्र धार्मिक अनुष्ठान नगर कीर्तन के दौरान, जब संगत गुरुद्वारे की ओर बढ़ रही थी, कुछ स्थानीय प्रदर्शनकारियों ने रास्ता रोक दिया और हाका (Māori युद्ध नृत्य) का प्रदर्शन करते हुए विदेशी राजनीतिक प्रतीकों के खिलाफ नारेबाज़ी की। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि इस जुलूस में कुछ ऐसे झंडे और चिह्न प्रदर्शित हो रहे थे, जो खालिस्तान समर्थक राजनीतिक आंदोलनों से जुड़े हैं।
स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए न्यूज़ीलैंड पुलिस ने बीच-बचाव करते हुए प्रदर्शनकारियों को हटाया और नगर कीर्तन को शांति से सम्पन्न कराया।
भारत के राजनीतिक और धार्मिक नेतृत्व की प्रतिक्रिया
इस घटना पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार को इस विषय पर न्यूज़ीलैंड सरकार से बात करनी चाहिए, ताकि विदेशों में भी भारतीय नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता मिल सके।
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इस घटना की निंदा करते हुए नगर कीर्तन को शांतिपूर्ण और आनंदमय धार्मिक परंपरा बताया।
अकाल तख्त के कार्यकारी जत्थेदार कुलदीप सिंह गरगज्ज ने भी विदेशों में सिख धार्मिक परंपराओं में हस्तक्षेप पर चिंता जताई है।
स्थानीय विरोध और प्रवासन से जुड़ी आपत्तियाँ
इस विरोध का नेतृत्व स्थानीय कार्यकर्ता ब्रायन तमाकी ने किया, जिन्होंने आरोप लगाया कि नगर कीर्तन में राजनीतिक झंडे, विशेषकर खालिस्तान समर्थक प्रतीक, दिखाए जा रहे थे। उनका कहना था कि इससे न्यूज़ीलैंड में सामाजिक समरसता को खतरा हो सकता है और यह बिना समावेशन के हो रहे प्रवासन का परिणाम है।
तमाकी ने स्पष्ट किया कि उनका विरोध सिख धर्म या धार्मिक प्रथाओं के खिलाफ नहीं है, बल्कि वे विदेशी राजनीतिक संघर्षों के आयात और राष्ट्रीय पहचान को चुनौती देने वाली गतिविधियों पर आपत्ति कर रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
• नगर कीर्तन सिख धर्म की एक धार्मिक शोभायात्रा होती है, जिसमें कीर्तन और संगत सम्मिलित होते हैं।
• हाका माओरी समुदाय का परंपरागत युद्ध नृत्य और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है।
• खालिस्तान आंदोलन एक पृथक सिख राष्ट्र की मांग से जुड़ा राजनीतिक आंदोलन है।
• बहु-सांस्कृतिक समाजों में प्रवासन और प्रवासी राजनीति के बीच जटिल समीकरण होते हैं।
न्यूज़ीलैंड में सिख समुदाय और राजनयिक दृष्टिकोण
न्यूज़ीलैंड में सिख समुदाय की संख्या 2001 में 5,000 से बढ़कर 2023 में 53,000 से अधिक हो चुकी है। कुछ प्रवासी वर्गों में खालिस्तान-समर्थक गतिविधियों को लेकर भारत की चिंता लंबे समय से बनी हुई है। इसी वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन के बीच हुई वार्ता में, चरमपंथ और अलगाववाद के खिलाफ सहयोग का मुद्दा भी शामिल था।
यह घटना केवल एक स्थानीय विरोध नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता, प्रवासी जिम्मेदारियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़े कई गहरे प्रश्न उठाती है।