न्यायमूर्ति सूर्यकांत बने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश

न्यायमूर्ति सूर्यकांत बने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश

भारत के न्याय तंत्र में आज एक नया अध्याय शुरू हुआ है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आज भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। उनका कार्यकाल लगभग 14 महीनों का होगा, जिसके दौरान वे न्यायिक दक्षता को बढ़ाने और मामलों के लंबित होने की समस्या को कम करने पर विशेष ध्यान देंगे। outgoing मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण आर. गवई की सिफारिश पर उन्हें यह दायित्व सौंपा गया है।

प्रारंभिक जीवन और कानूनी यात्रा

10 फरवरी 1962 को हरियाणा में जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 1984 में हिसार से वकालत की शुरुआत की। कुछ वर्षों बाद वे चंडीगढ़ आ गए, जहां उन्होंने संवैधानिक, दीवानी और सेवा से जुड़े मामलों में विशेष दक्षता हासिल की। उन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे विश्वविद्यालयों और निगमों का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2000 में वे हरियाणा के महाधिवक्ता (Advocate General) बने और 2001 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किए गए।

न्यायिक पदोन्नति और प्रमुख भूमिकाएँ

2004 में उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 2018 में वे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। मई 2019 में वे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। नवंबर 2024 से वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं, जहां उन्होंने न्याय तक समान पहुंच और विधिक सहायता को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मुख्य न्यायाधीश के रूप में प्राथमिकताएँ

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पद संभालते ही स्पष्ट किया है कि उनका मुख्य लक्ष्य देशभर में लंबित मामलों की संख्या कम करना होगा। वर्तमान में भारत की अदालतों में कुल 5.29 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। वे उच्च न्यायालयों के साथ समन्वय स्थापित कर निचली अदालतों की चुनौतियों का समाधान करने पर भी बल देंगे। साथ ही, उन्होंने यह घोषणा की है कि जल्द ही पाँच, सात और नौ सदस्यीय संविधान पीठों का गठन किया जाएगा, जो वर्षों से लंबित संवैधानिक मामलों की सुनवाई करेगी।

न्यायिक सुधार और तकनीकी एकीकरण

न्यायमूर्ति सूर्यकांत वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternative Dispute Resolution) और मध्यस्थता (Mediation) को बढ़ावा देने के पक्षधर हैं ताकि मुकदमों का बोझ घटाया जा सके, विशेष रूप से सरकारी संस्थानों से जुड़े विवादों में। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की भूमिका को भी स्वीकार किया है, किंतु यह स्पष्ट किया है कि न्यायिक निर्णय सदैव मानव-नेतृत्व वाले ही होने चाहिए। उनके कार्यकाल से न्यायपालिका में तकनीकी और संरचनात्मक सुधारों की व्यापक अपेक्षा की जा रही है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • न्यायमूर्ति सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं।
  • वे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
  • 2000 में वे हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता बने थे।
  • वर्तमान में देशभर में लगभग 5.29 करोड़ मामले लंबित हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत का कार्यकाल ऐसे समय में शुरू हुआ है जब भारतीय न्यायपालिका अभूतपूर्व बोझ से जूझ रही है। उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे न केवल न्यायिक प्रक्रियाओं को तेज करेंगे, बल्कि आम नागरिकों के लिए न्याय तक पहुंच को भी अधिक सुलभ बनाएंगे। उनका कार्यकाल भारतीय न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और दक्षता की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

Originally written on November 24, 2025 and last modified on November 24, 2025.

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