नेपाल ने रूबेला उन्मूलन कर रचा इतिहास: डब्ल्यूएचओ ने की पुष्टि

नेपाल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए रूबेला को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इस घोषणा के साथ नेपाल अब दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है। यह सफलता नेपाल की सतत प्रयासों, मजबूत टीकाकरण कार्यक्रमों और समुदाय की जागरूक भागीदारी का परिणाम है।

रूबेला क्या है और क्यों है यह घातक?

रूबेला, जिसे जर्मन खसरा भी कहा जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक वायरल संक्रमण है। सामान्यतः यह बच्चों और किशोरों को प्रभावित करता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए यह विशेष रूप से खतरनाक होता है क्योंकि यह गर्भपात, मृत शिशु जन्म या जन्मजात दोषों का कारण बन सकता है। हालांकि यह बीमारी सुरक्षित और किफायती टीकों द्वारा पूरी तरह से रोकी जा सकती है।

नेपाल का टीकाकरण अभियान और रणनीतियाँ

नेपाल ने 2012 में रूबेला-रोधी टीके को अपने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया। इस वर्ष एक व्यापक राष्ट्रीय अभियान चलाया गया जिसमें 9 महीने से 15 वर्ष तक के बच्चों को टीका लगाया गया। इसके बाद 2016 में इस टीके की दूसरी खुराक नियमित कार्यक्रम में जोड़ी गई।
2012, 2016, 2020 और 2024 में चार राष्ट्रीय टीकाकरण अभियानों के माध्यम से टीके की पहुँच को विस्तार दिया गया, भले ही देश को कोविड-19 महामारी और 2015 व 2023 के भूकंप जैसी आपदाओं का सामना करना पड़ा हो।
2024 तक, कम से कम एक खुराक के लिए टीकाकरण कवरेज 95% से अधिक तक पहुँच गया। ‘टीकाकरण माह’ जैसे अभिनव अभियान, पिछड़े क्षेत्रों में पहुंच, और ‘पूर्ण टीकाकृत’ जिलों की घोषणा जैसी रणनीतियों ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रमुख भूमिका निभाई।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • नेपाल दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र का छठा देश है जिसने रूबेला को समाप्त किया है।
  • WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र ने 2026 तक खसरा और रूबेला उन्मूलन का लक्ष्य रखा है।
  • SEA-RVC (South-East Asia Regional Verification Commission) की स्थापना 2016 में हुई थी जो प्रगति की निगरानी करता है।
  • नेपाल ने WHO क्षेत्र में पहला देश बनकर एक आधुनिक लैब परीक्षण प्रणाली लागू की है जो रूबेला निगरानी को और मजबूत करती है।

सहयोग और वैश्विक समर्थन

नेपाल की इस उपलब्धि के पीछे केवल राष्ट्रीय प्रयास ही नहीं बल्कि वैश्विक सहयोग भी अहम रहा। WHO और Gavi जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों का सतत समर्थन, स्वास्थ्यकर्मियों की निष्ठा, और समुदाय की सक्रिय सहभागिता ने इस सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती को जीत में बदला।
यह उपलब्धि न केवल नेपाल की स्वास्थ्य प्रणाली की मजबूती को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि यदि सरकार, समुदाय और वैश्विक संस्थाएं एकजुट होकर काम करें, तो किसी भी संक्रामक रोग को समाप्त किया जा सकता है। अब यह जिम्मेदारी है कि इस सफलता को बनाए रखा जाए और भविष्य की पीढ़ियों को ऐसे बीमारियों से सुरक्षित रखा जाए।

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