नेपाल की अंतरराष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) में सदस्यता: वैश्विक वन्यजीव संरक्षण में एक ऐतिहासिक पहल

नेपाल ने भारत के नेतृत्व में स्थापित अंतरराष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) में औपचारिक रूप से शामिल होकर वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 24 अगस्त 2025 को IBCA द्वारा इस घोषणा के साथ यह स्पष्ट किया गया कि नेपाल द्वारा फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर लिया गया है, जिससे यह वैश्विक गठबंधन अब और अधिक सशक्त बन गया है।
IBCA की भूमिका और उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) का उद्देश्य दुनिया भर में पाई जाने वाली सात बड़ी बिल्ली प्रजातियों — बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा — के संरक्षण के लिए सहयोग को बढ़ावा देना है। इसे 9 अप्रैल 2023 को कर्नाटक के मैसूरु में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर लॉन्च किया गया था।
इस पहल के तहत भारत ने अन्य देशों के साथ मिलकर सफल संरक्षण रणनीतियों को साझा करने, संसाधनों को संगठित करने और वैश्विक स्तर पर बड़ी बिल्लियों की आबादी में गिरावट को रोकने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
नेपाल की भागीदारी का महत्व
नेपाल के भौगोलिक परिदृश्य में बाघ, हिम तेंदुआ और सामान्य तेंदुआ जैसी महत्वपूर्ण प्रजातियाँ पाई जाती हैं। ऐसे में IBCA में नेपाल की भागीदारी से इन प्रजातियों के संरक्षण के लिए बहुपक्षीय सहयोग को नई दिशा मिलेगी। नेपाल की विशेषज्ञता और उसके संरक्षण प्रयास वैश्विक मंच पर साझा किए जा सकेंगे, जिससे अन्य देशों को भी लाभ होगा।
IBCA ने इस कदम को “पारिस्थितिकीय सुरक्षा की दिशा में एक साझा और महत्वपूर्ण प्रयास” बताया है। साथ ही, यह भी कहा गया है कि नेपाल की सदस्यता से गठबंधन को मजबूती मिलेगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- IBCA की स्थापना भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अधीन नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी (NTCA) द्वारा 12 मार्च 2024 को की गई थी।
- इसका मुख्यालय भारत में स्थित है और इसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश सदस्यता ले सकते हैं।
- IBCA का उद्देश्य एक साझा मंच तैयार करना है जहां संरक्षण संबंधी सर्वोत्तम प्रथाएँ, तकनीकी जानकारी और वित्तीय संसाधन एकत्र किए जा सकें।
- सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियाँ — बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा — IBCA के संरक्षण लक्ष्य में शामिल हैं।
नेपाल की इस पहल से न केवल उसके वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को वैश्विक मान्यता मिलेगी, बल्कि यह दक्षिण एशिया में जैव विविधता संरक्षण के लिए क्षेत्रीय सहयोग का भी प्रतीक बनेगा। IBCA जैसे बहुपक्षीय मंच, पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायक साबित होंगे। भारत और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों का यह साझा प्रयास निश्चित ही वैश्विक वन्यजीव संरक्षण एजेंडा को नई ऊँचाई देगा।