नीतिगत बदलाव की ओर: नीति आयोग की नई रिपोर्ट ‘Rethinking Homestays’ से होमस्टे पर्यटन को मिलेगी नई दिशा

भारत में घरेलू पर्यटन के तेजी से बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग ने ‘Rethinking Homestays: Navigating Policy Pathways’ नामक एक रिपोर्ट लॉन्च की है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) के सहयोग से तैयार यह रिपोर्ट भारत में होमस्टे और BnB सेक्टर के लिए एक रणनीतिक मार्गदर्शन प्रस्तुत करती है, जिसे नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन बेरी द्वारा जारी किया गया।

होमस्टे को मिलेगा संस्थागत समर्थन

रिपोर्ट के अनुसार, होमस्टे सेक्टर स्थानीय उद्यमिता और सांस्कृतिक अनुभवों को बढ़ावा देता है और रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभा सकता है, विशेषकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में। यह रिपोर्ट कहती है कि:

  • होमस्टे नीति में सरल, पारदर्शी और हल्के नियामकीय ढांचे की आवश्यकता है।
  • सुरक्षा, विरासत संरक्षण और समावेशी आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देना चाहिए।
  • डिजिटल पोर्टल के ज़रिये रजिस्ट्रेशन, नवीनीकरण और अनुपालन को आसान बनाया जा सकता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • होमस्टे मार्केट 2024 से 2031 तक 11% की वार्षिक दर से बढ़ने की उम्मीद है — जो वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ है।
  • भारत का घरेलू पर्यटन खर्च 2019 से 28% बढ़कर ₹16 लाख करोड़ (2023-24) हो गया है, और 2033-34 तक ₹28.7 लाख करोड़ तक पहुँचने की संभावना है।
  • अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का खर्च 2019 में ₹2.75 लाख करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹2.85 लाख करोड़ हो गया है, और 2033-34 तक ₹4.07 लाख करोड़ तक पहुँच सकता है।

राज्यों में असमान नीति ढांचा

  • उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और केरल में होमस्टे पंजीकरण के लिए 5–6 चरण, जबकि गोवा में केवल 3 चरण हैं।
  • प्रमाणपत्र की वैधता भी राज्यों में भिन्न है: उत्तराखंड में 2 वर्ष, यूपी और केरल में 3 वर्ष, और गोवा में 1 से 5 वर्ष तक।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पंजीकरण की प्रक्रिया जटिल है — कई कार्यालयों का चक्कर, ढेरों दस्तावेज़ और 2 से 6 महीने की प्रतीक्षा

प्रोत्साहन योजनाओं में जागरूकता की कमी

  • ग्राउंड सर्वे में 70% ऑपरेटरों ने बताया कि उन्हें वित्तीय प्रोत्साहनों की जानकारी नहीं है या फिर प्रक्रिया कठिन है।
  • रिपोर्ट में टियर-आधारित प्रोत्साहन योजना की सिफारिश की गई है, जहाँ पहले से विकसित क्षेत्रों (टियर-1) को प्राथमिकता मिलेगी और टियर-2 क्षेत्रों को क्रमिक सहायता दी जाएगी।

निष्कर्ष

नीति आयोग की यह रिपोर्ट स्थानीय समुदायों, नीति निर्माताओं और निजी क्षेत्र के हितधारकों के लिए एक व्यवहारिक खाका प्रदान करती है, जो होमस्टे सेक्टर को सतत, समावेशी और विरासत-सम्वेदनशील दिशा में आगे ले जाने में मदद करेगी।
सरल रजिस्ट्रेशन, डिजिटल समावेशन, जागरूकता अभियानों और बेहतर नीति समन्वय के ज़रिये भारत अपने घरेलू पर्यटन क्षेत्र को वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर कर सकता है।

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