निसार उपग्रह: भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग का ऐतिहासिक क्षण

निसार उपग्रह: भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग का ऐतिहासिक क्षण

भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष विज्ञान में सहयोग एक नए युग में प्रवेश कर चुका है, जब 7 नवम्बर को नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह आधिकारिक रूप से कार्य करना प्रारंभ करेगा। इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने यह घोषणा करते हुए बताया कि सभी आवश्यक परीक्षण और कैलिब्रेशन प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है, और यह मिशन अब परिचालन स्तर पर सक्रिय होगा।

भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग में नई ऊंचाई

NISAR ऐसा पहला पृथ्वी अवलोकन मिशन है जिसे नासा और इसरो ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह उपग्रह लगभग 2,400 किलोग्राम वजनी है और इसे 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य पृथ्वी की सतह और हिम क्षेत्रों की गति पर विस्तृत और नियमित जानकारी प्रदान कर जलवायु परिवर्तन की निगरानी और पर्यावरणीय मानचित्रण को सुदृढ़ बनाना है।

अत्याधुनिक रडार तकनीक से सुसज्जित

NISAR दोहरे बैंड वाले रडार उपकरणों से लैस है—एल-बैंड रडार नासा द्वारा और एस-बैंड रडार इसरो द्वारा विकसित किया गया है। यह दुनिया का पहला ऐसा मिशन है जिसमें दो SAR (सिंथेटिक अपर्चर रडार) प्रणाली एक साथ कार्य करती हैं। एल-बैंड रडार वन आवरणों के नीचे की मिट्टी की नमी, वन जैवमंडल और हिम गतिशीलता का अध्ययन कर सकता है, जबकि एस-बैंड रडार छोटे पौधों, कृषि पैटर्न और बर्फ की नमी का अवलोकन करता है। ये दोनों सेंसर दिन और रात, किसी भी मौसम में डेटा एकत्र करने में सक्षम हैं।

वैज्ञानिक और पर्यावरणीय अनुप्रयोग

NISAR लगभग हर 12 दिनों में पृथ्वी की अधिकांश स्थल और हिम सतहों को स्कैन करने में सक्षम है। इससे भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी और समझ बेहतर होगी। साथ ही, यह ग्लेशियरों के पिघलने, कृषि परिवर्तनों और पारिस्थितिकी तंत्र की जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिक्रियाओं की निगरानी में मदद करेगा। इसके उच्च-रिज़ॉल्यूशन चित्र वैज्ञानिकों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • NISAR पहला पृथ्वी अवलोकन मिशन है जो नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित हुआ है।
  • यह उपग्रह लगभग 2,400 किलोग्राम वजनी है और जीएसएलवी रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया।
  • इसमें दो SAR रडार प्रणाली हैं—एल-बैंड (नासा) और एस-बैंड (इसरो)।
  • यह उपग्रह हर 12 दिनों में पृथ्वी की अधिकांश स्थल और बर्फीली सतहों को स्कैन कर सकता है।

इसरो की आगामी अंतरिक्ष योजनाएं

NISAR के साथ-साथ इसरो “गगनयान” कार्यक्रम के पहले मानव रहित मिशन की तैयारी जनवरी 2026 के लिए कर रहा है, जो भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन की नींव रखेगा। अब तक 8,000 से अधिक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए जा चुके हैं ताकि मिशन की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा, भारत 2028 तक “भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन” का पहला मॉड्यूल लॉन्च करने की योजना बना रहा है, जो 2035 तक एक पूर्णतः सक्रिय पांच-मॉड्यूलीय कक्षा स्टेशन में परिवर्तित हो जाएगा और 6 अंतरिक्ष यात्रियों को एक साथ रखने में सक्षम होगा।

Originally written on November 6, 2025 and last modified on November 6, 2025.

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