नासा का मावेन यान मंगल की कक्षा में संपर्क से बाहर

नासा का मावेन यान मंगल की कक्षा में संपर्क से बाहर

मंगल ग्रह के वातावरण पर लंबे समय से अहम अध्ययन कर रहा नासा का मावेन अंतरिक्ष यान अचानक संपर्क से बाहर हो गया है। नासा द्वारा संचालित यह यान दिसंबर की शुरुआत से कोई नियमित सिग्नल नहीं भेज पा रहा है। इंजीनियरों की टीमें लगातार संपर्क बहाल करने और यान की स्थिति का आकलन करने में जुटी हुई हैं। मावेन को मंगल के ऊपरी वातावरण और वहां से अंतरिक्ष में हो रहे गैसों के क्षरण को समझने के लिए भेजा गया था।

मंगल पर मावेन की वैज्ञानिक भूमिका

मावेन को नवंबर 2013 में प्रक्षेपित किया गया था और यह सितंबर 2014 में मंगल की कक्षा में पहुंचा। इसका मुख्य उद्देश्य मंगल के ऊपरी वातावरण, आयनमंडल और सौर पवन के साथ होने वाली अंतःक्रियाओं का अध्ययन करना था। इसके उपकरण गैसों, आयनों और चुंबकीय प्रभावों को मापते हैं, जिससे वैज्ञानिक यह समझ पाते हैं कि कैसे मंगल एक समय के गर्म और आर्द्र ग्रह से आज के ठंडे और शुष्क स्वरूप में बदल गया। मूल रूप से इसे दो वर्ष के मिशन के रूप में डिजाइन किया गया था, लेकिन यह एक दशक से अधिक समय तक विस्तारित मिशन पर काम करता रहा।

सिग्नल टूटने की घटना और शुरुआती संकेत

मावेन ने 4 दिसंबर को अंतिम बार अपनी नियमित स्वास्थ्य से जुड़ी पूरी जानकारी भेजी थी। इसके दो दिन बाद वह पृथ्वी से देखे जाने पर मंगल के पीछे चला गया, जिसे अस्थायी संचार बाधा माना जाता है। लेकिन जब यान के दोबारा संपर्क में आने की उम्मीद थी, तब डीप स्पेस नेटवर्क को उसका सामान्य सिग्नल नहीं मिला। 15 दिसंबर को नासा ने बताया कि 6 दिसंबर का एक छोटा ट्रैकिंग डेटा खंड मिला है, जिससे संकेत मिलता है कि यान अनियंत्रित रूप से घूम रहा हो सकता है और उसकी कक्षा में भी बदलाव आया हो।

मंगल मिशनों के लिए संचार में भूमिका

वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ मावेन मंगल पर सतह मिशनों के लिए संचार रिले का भी अहम कार्य करता है। यह पृथ्वी और रोवरों के बीच डेटा भेजने में मदद करता रहा है, जिनमें क्यूरियोसिटी और परसिवरेंस शामिल हैं। मावेन के शांत होने के बाद नासा ने यह जिम्मेदारी अन्य कक्षीय यानों को सौंप दी है, जैसे मार्स रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर और मार्स ओडिसी, साथ ही यूरोपीय मंगल ऑर्बिटर के साथ भी समन्वय किया जा रहा है।

मंगल अन्वेषण के संदर्भ में मावेन

मावेन का मंगल पर पहुंचना भारत के मंगल ऑर्बिटर मिशन के लगभग समान समय पर हुआ था, जिसे आमतौर पर मंगलयान के नाम से जाना जाता है। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सितंबर 2014 में कक्षा में स्थापित किया था। जहां मंगलयान को मुख्य रूप से एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन के रूप में प्रस्तुत किया गया था, वहीं मावेन एक अधिक उन्नत वैज्ञानिक मिशन था, जिसका फोकस मंगल के वायुमंडलीय क्षरण पर रहा। दोनों मिशनों ने मंगल अन्वेषण के एक महत्वपूर्ण चरण में योगदान दिया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • मावेन मिशन मंगल के वातावरण के अंतरिक्ष में क्षरण का अध्ययन करता है।
  • यह यान सितंबर 2014 में मंगल की कक्षा में पहुंचा था।
  • मावेन मंगल रोवरों के लिए संचार रिले की भूमिका भी निभाता है।
  • अंतरग्रहीय संचार के लिए नासा डीप स्पेस नेटवर्क का उपयोग करता है।

फिलहाल नासा ने मावेन के संपर्क टूटने के सटीक कारण का खुलासा नहीं किया है। इंजीनियर लगातार प्रयास कर रहे हैं कि यान से दोबारा संपर्क स्थापित हो सके। यदि ऐसा होता है, तो मावेन मंगल के वातावरण से जुड़े महत्वपूर्ण रहस्यों को उजागर करने में एक बार फिर अहम भूमिका निभा सकता है।

Originally written on December 24, 2025 and last modified on December 24, 2025.

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