नासा का ऑर्बिटिंग कार्बन ऑब्जर्वेटरी मिशन खतरे में

ऑर्बिटिंग कार्बन ऑब्जर्वेटरी (OCO) कार्यक्रम, जिसे धरती के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर और वितरण को मापने के लिए विकसित किया गया था, जलवायु परिवर्तन के अध्ययन का एक अहम उपकरण माना जाता है। लेकिन अमेरिका के 2026 वित्तीय वर्ष के बजट प्रस्ताव में इस कार्यक्रम के लिए कोई फंडिंग नहीं रखी गई है, जिससे इसका भविष्य अनिश्चित हो गया है।
OCO मिशन का परिचय
- OCO-1: पहला उपग्रह प्रक्षेपण के तुरंत बाद लॉन्च व्हीकल की फेयरिंग अलग न होने के कारण विफल हो गया।
- OCO-2: प्रतिस्थापन उपग्रह, 1 जुलाई 2014 को कैलिफ़ोर्निया के वैंडनबर्ग एयर फ़ोर्स बेस से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित हुआ।
- OCO-3: 2019 से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर स्थापित उच्च-सटीकता वाला उपकरण।
ट्रंप प्रशासन का कदम
- प्रस्तावित बजट में OCO कार्यक्रम के लिए शून्य फंडिंग।
- नासा का कहना है कि मिशन “अपनी मूल अवधि से आगे” हैं और उन्हें राष्ट्रपति की नीतियों व बजट प्राथमिकताओं के अनुरूप बंद किया जा रहा है।
वैज्ञानिकों की चेतावनी
- डेविड क्रिस्प (पूर्व नासा वैज्ञानिक): OCO मिशन “दुनिया के सबसे संवेदनशील और सटीक सिस्टम” हैं और एक “राष्ट्रीय संपत्ति” हैं।
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प्रमुख खोजें:
- अमेज़न वर्षावन अब शुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जक बन चुका है।
- कनाडा और रूस के बोरियल जंगल अप्रत्याशित कार्बन सिंक बन रहे हैं।
- पौधों में प्रकाश संश्लेषण का पता लगाना, जिससे सूखा निगरानी और खाद्य संकट की भविष्यवाणी संभव होती है।
राजनीतिक और वित्तीय स्थिति
- वर्तमान फंडिंग 30 सितंबर 2025 तक।
- हाउस बिल: मिशन को समाप्त करने के पक्ष में।
- सीनेट संस्करण: मिशन को बनाए रखने के पक्ष में।
- कांग्रेस अवकाश पर है; संभव है कि 1 अक्टूबर से पहले अस्थायी बजट जारी हो।
- कुछ डेमोक्रेट सांसदों ने चेतावनी दी है कि स्वीकृत फंड रोकना या मिशन समाप्त करना गैरकानूनी हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय और निजी सहयोग की कोशिश
- वैज्ञानिक जापान और यूरोप के साझेदारों के साथ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि ISS-आधारित OCO-3 सक्रिय रहे।
- नासा 29 अगस्त तक बाहरी प्रस्ताव स्वीकार कर रहा है।
- फ्री-फ्लाइंग OCO-2 उपग्रह को डी-ऑर्बिट कर जलने की योजना भी बनाई जा रही है।
- निजी या परोपकारी फंड से संचालन जारी रखने के प्रयास, लेकिन क्रिस्प के अनुसार यह “अवांछनीय और अव्यावहारिक” समाधान है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- OCO-2 की कक्षा से ली गई माप दुनिया में सबसे सटीक CO₂ मापों में गिनी जाती है।
- क्लाउड-फ्री ऑब्जर्वेशन तकनीक से महासागर, वन और शहरी क्षेत्रों के उत्सर्जन का विस्तृत मानचित्रण संभव हुआ।
- कार्बन डाइऑक्साइड के स्रोत और सिंक की पहचान जलवायु नीतियों के लिए अहम है।
Originally written on
August 13, 2025
and last modified on
August 13, 2025.