नासा-इसरो निसार मिशन की बड़ी सफलता : 12 मीटर एंटीना रिफ्लेक्टर तैनात
नासा और इसरो का संयुक्त मिशन निसार (NISAR) अपने वैज्ञानिक चरण में प्रवेश कर चुका है। जुलाई 2025 में जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट से प्रक्षेपित इस उपग्रह ने 12 मीटर व्यास वाले एंटीना रिफ्लेक्टर को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में तैनात कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह मिशन पृथ्वी अवलोकन के क्षेत्र में उच्च-रिज़ॉल्यूशन रडार डेटा प्रदान करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कक्षा में एंटीना की सफल तैनाती
नासा द्वारा विकसित यह विशाल एंटीना नौ मीटर लंबे बूम पर मोड़े हुए रूप में अंतरिक्ष में भेजा गया था। 9 अगस्त 2025 से शुरू हुई इसकी तैनाती प्रक्रिया पांच चरणों में पूरी हुई, जिसमें कलाई, कंधा, कोहनी और मूल तंत्र का विस्तार शामिल था। 15 अगस्त 2025 तक रिफ्लेक्टर पूरी तरह खुल गया और सभी प्रणालियाँ सही ढंग से कार्यरत पाई गईं। इस तकनीकी उपलब्धि ने मिशन की इंजीनियरिंग दक्षता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मजबूती को प्रदर्शित किया।
पहली एस-बैंड SAR छवि : गोदावरी डेल्टा का सटीक चित्रण
19 अगस्त 2025 को निसार के एस-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) ने अपनी पहली वैज्ञानिक छवि प्राप्त की। यह छवि गोदावरी नदी के उपजाऊ डेल्टा क्षेत्र की थी, जिसमें मैंग्रोव वनस्पति, कृषि क्षेत्र और मत्स्यपालन क्षेत्रों का सूक्ष्म अंतर स्पष्ट रूप से देखा गया। यह परिणाम इस उपग्रह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन क्षमता और विविध परिदृश्यों के विश्लेषण में इसकी वैज्ञानिक उपयोगिता को प्रमाणित करता है।
डेटा अंशांकन और गुणवत्ता सुधार
डेटा की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए अहमदाबाद और अन्य स्थानों पर संदर्भ लक्ष्य स्थापित किए गए। इसके अलावा, अमेज़न वर्षावनों से प्राप्त पूरक डेटा का उपयोग उपग्रह की दिशा और डेटा अधिग्रहण मानकों को परिष्कृत करने में किया गया। इन उपायों से एस-बैंड और एल-बैंड दोनों आवृत्तियों के रडार डेटा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिससे वैश्विक वैज्ञानिक अध्ययन अधिक विश्वसनीय बने हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- निसार में दोहरी आवृत्ति रडार प्रणाली है इसरो का एस-बैंड और नासा का एल-बैंड।
- एंटीना रिफ्लेक्टर का व्यास 12 मीटर है।
- मिशन को जुलाई 2025 में जीएसएलवी-एफ16 से लॉन्च किया गया।
- पहली एस-बैंड SAR छवि 19 अगस्त 2025 को गोदावरी डेल्टा क्षेत्र की ली गई।
पृथ्वी विज्ञान के विविध क्षेत्रों में उपयोग
निसार मिशन से प्राप्त प्रारंभिक आंकड़े कृषि, वानिकी, जलविज्ञान, भूविज्ञान, ध्रुवीय अध्ययन और महासागरीय अनुसंधान जैसे कई क्षेत्रों में उपयोगी साबित हो रहे हैं। भारतीय भूभाग और वैश्विक स्थलों की नियमित रडार इमेजिंग से यह मिशन जलवायु परिवर्तन निगरानी, आपदा प्रबंधन और संसाधन मूल्यांकन में महत्वपूर्ण योगदान देने की दिशा में अग्रसर है। यह भारत-अमेरिका सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो पृथ्वी विज्ञान अनुसंधान को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।