नामग्याल त्सेमो मठ

नामग्याल त्सेमो मठ

नामग्याल त्सेमो मठ की स्थापना 15वीं शताब्दी की शुरुआत में 1430 ईस्वी के आसपास हुई थी। मठ लद्दाख क्षेत्र के लेह जिले में स्थित है। लेह में शहर के ऊपर की चोटी नामग्याल त्सेमो में ताशी नामग्याल का किला था। किले से जुड़े मंदिरों का रखरखाव शंकर गोम्पा के एक लामा द्वारा किया जाता है। इस मठ का एक अन्य प्रमुख आकर्षण नामग्याल त्सेमो महल है, जो नौ मंजिला ऊंचा है। मठ परिसर में गोनखांग और ताशी नामग्याल का किला शामिल है। गोम्पा की स्थापना राजा ताशी नामग्याल ने की थी। नामग्याल त्सेमो मठ में भित्ति चित्र मठ क्रोधी देवताओं और भित्ति चित्रों को समर्पित है। मंदिर की दीवारों में शाक्यमुनि, अवलोकितेश्वर, पद्मसंभव, त्सोन-का-पा और ग्रीन तारा सहित हाल के चित्र हैं। प्रवेश द्वार के बाईं ओर ताशी नामग्याल का प्रसिद्ध चित्र है। इस मठ में चित्रकला की शैलियाँ तिब्बती कला की अपेक्षा फारसी अधिक हैं। पोशाक और पगड़ी मुगल शैली में हैं। इस लघु दरबार के दृश्य के ठीक दाहिनी ओर एक घुड़सवार आकृति है, जिसे उसी तरह कपड़े पहनाए जाते हैं और पगड़ी पहनाई जाती है। नामग्याल त्सेमो मठ में मूर्तियाँ इस मठ का खजाना मैत्रेय बुद्ध की तीन मंजिला ऊँची ठोस सोने की मूर्ति है। यहां तक ​​कि इस मठ में अवलोकेश्वर और मंजुश्री की मूर्तियां भी हैं, जो लगभग एक मंजिल ऊंची हैं।

Originally written on November 19, 2021 and last modified on November 19, 2021.

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