नाटो सम्मेलन 2024: ट्रंप की वापसी और बदली हुई प्राथमिकताएं

इस वर्ष के नाटो शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पूरी तरह से छाए रहे। सम्मेलन का समापन 25 जून को हुआ और ट्रंप इसे अपनी प्रतीकात्मक जीत मानते हुए वाशिंगटन लौटे। इस सम्मेलन का सबसे प्रमुख निर्णय नाटो देशों द्वारा अपने रक्षा खर्च को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 5% तक बढ़ाने पर सहमति था। यह निर्णय न केवल नाटो के लिए बल्कि वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य के लिए भी एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
5% रक्षा खर्च लक्ष्य: एक ऐतिहासिक मोड़
ट्रंप ने इस सम्मेलन को “ऐतिहासिक मील का पत्थर” बताया, जहां सदस्य देशों ने 5% रक्षा खर्च लक्ष्य को स्वीकार किया। इसमें से 3.5% को मूल रक्षा खर्च और हथियारों पर खर्च किया जाएगा, जबकि शेष 1.5% को बुनियादी ढांचे की रक्षा, साइबर सुरक्षा, नवाचार और रक्षा औद्योगिक आधार के सुदृढ़ीकरण जैसे कार्यों पर लगाया जाएगा। यह निर्णय अब तक के 2% के लक्ष्य से काफी बड़ा है, जिसे भी कई देश पूरा नहीं कर पाए हैं। उदाहरण के लिए, 2024 में अमेरिका ने 3.2% खर्च किया, जबकि केवल पोलैंड (4.1%), एस्तोनिया (3.4%) और लातविया (3.4%) ही 3% से ऊपर पहुंचे।
स्पेन ने इस नए लक्ष्य का विरोध करते हुए इसमें भागीदारी से इनकार कर दिया, जिससे ट्रंप ने नाराज़गी जाहिर की और स्पेन पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी।
अनुच्छेद 5 और सामूहिक रक्षा की धारणा
नाटो का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ अनुच्छेद 5 है, जो कहता है कि किसी एक सदस्य देश पर हमला, सभी पर हमला माना जाएगा। इस सामूहिक रक्षा की अवधारणा ने नाटो को समय के साथ मजबूत किया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते फिनलैंड और स्वीडन जैसे तटस्थ देशों ने भी नाटो सदस्यता के लिए आवेदन दिया।
ट्रंप हालांकि पहले अनुच्छेद 5 की आलोचना कर चुके हैं और यह संकेत दे चुके हैं कि जो देश पर्याप्त खर्च नहीं करेंगे, उन्हें अमेरिका का समर्थन नहीं मिलेगा। फिर भी, इस सम्मेलन में उन्होंने इस अनुच्छेद के प्रति “अटल प्रतिबद्धता” दोहराई।
यूक्रेन का मुद्दा पृष्ठभूमि में
2022 से हर नाटो सम्मेलन में यूक्रेन को रूस के खिलाफ समर्थन देने की प्रतिबद्धता जताई गई थी। लेकिन ट्रंप की सत्ता में वापसी के साथ इस नीति में बदलाव देखा गया। उनके कार्यकाल के दौरान अमेरिका ने यूक्रेन की नाटो सदस्यता को खारिज किया, राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की की आलोचना की, और यूक्रेन को दी जा रही सैन्य सहायता को रोक दिया।
2024 सम्मेलन में भी रूस के खिलाफ पहले जैसी तीव्र निंदा नहीं की गई। पहले जहाँ नाटो की घोषणा रूस के “क्रूर आक्रामक युद्ध” का ज़िक्र करती थी, इस बार उसे केवल “लंबी अवधि का खतरा” बताया गया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- नाटो (North Atlantic Treaty Organization) की स्थापना 1949 में हुई थी, जिसमें अब 30 से अधिक देश सदस्य हैं।
- अनुच्छेद 5 का अब तक केवल एक बार उपयोग किया गया है — 11 सितंबर 2001 के अमेरिका पर हमले के बाद।
- ट्रंप का कार्यकाल (2017-21) नाटो के प्रति अमेरिकी समर्थन में अनिश्चितता का दौर माना गया था।
- पोलैंड, एस्तोनिया और लातविया जैसे पूर्वी यूरोपीय देश सबसे अधिक रक्षा खर्च करने वाले नाटो सदस्य बन चुके हैं।
नाटो शिखर सम्मेलन 2024 ने न केवल संगठन की प्राथमिकताओं में बदलाव को रेखांकित किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि ट्रंप की वापसी के साथ अमेरिका की विदेश नीति एक बार फिर से पुनःपरिभाषित हो रही है। रक्षा खर्च को बढ़ाना जहां एक ओर सदस्य देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कदम है, वहीं यूक्रेन जैसे साझेदार देशों के लिए यह चेतावनी भी है कि भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं।