नांजरायन पक्षी अभयारण्य में दुर्लभ रेड-नेक्ड फैलेरोप की पहली दस्तावेज़ी उपस्थिति

तमिलनाडु के तिरुपुर शहर स्थित नांजरायन पक्षी अभयारण्य में पहली बार दुर्लभ पक्षी प्रजाति रेड-नेक्ड फैलेरोप (Phalaropus lobatus) को देखा गया है। यह प्रजाति सामान्यतः आंतरिक जल निकायों में बहुत कम देखी जाती है, और इसका यहां पहुंचना स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में दर्ज किया गया है।

दुर्लभ प्रवासी का आगमन

नेचर सोसाइटी ऑफ तिरुपुर के अध्यक्ष रविंद्रन कामाची ने यह उपस्थिति दस्तावेज़ीकृत की, जिसमें उनके साथ सदस्य नंधगोपाल और संतोष भी उपस्थित थे। यह दुर्लभ पक्षी सबसे पहले वन रक्षक मणिकंदन द्वारा देखा गया, जो इस पक्षी की उपस्थिति के प्रारंभिक साक्षी बने। यह नांजरायन झील में दर्ज की गई 192वीं पक्षी प्रजाति है, जो इस जल निकाय की समृद्ध जैव विविधता को रेखांकित करती है।

फैलेरोप की विशेषताएँ और व्यवहार

रेड-नेक्ड फैलेरोप मुख्यतः आर्कटिक क्षेत्र में प्रजनन करती है और सर्दियों के दौरान दक्षिण-पूर्वी देशों में प्रवास करती है। इसकी विशेष पहचान इसके घने पेट के पंखों से बनी ‘राफ्ट’ जैसी संरचना है, जिससे यह पानी की सतह पर तैरते हुए भोजन प्राप्त करती है। यह पक्षी विशेष रूप से प्लवक जैसे छोटे जल-जीवों पर निर्भर रहता है और भोजन प्राप्त करने के लिए पानी में तेज़ी से छोटे-छोटे घेरे बनाते हुए घूमता है।

अभयारण्य में बढ़ती जैव विविधता

नांजरायन पक्षी अभयारण्य पिछले कुछ वर्षों से लगातार नई प्रवासी प्रजातियों का स्वागत कर रहा है। नवंबर 2023 में यहां यूरेशियन राइनैक की उपस्थिति दर्ज की गई थी, और फरवरी 2024 में पाइड एवोसेट का आगमन दस्तावेज़ीकृत हुआ था। यह घटनाएं इस अभयारण्य की पारिस्थितिकी तंत्र की गुणवत्ता और संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • रेड-नेक्ड फैलेरोप को IUCN द्वारा “Least Concern” श्रेणी में रखा गया है, लेकिन भारत में यह दुर्लभतापूर्वक देखी जाती है।
  • यह पक्षी प्रजनन काल में आर्कटिक क्षेत्रों (अलास्का, कनाडा, स्कैंडेनेविया) में रहता है और सर्दियों में समुद्रों या उष्णकटिबंधीय जल निकायों में प्रवास करता है।
  • फैलेरोप की विशेषता है कि मादा पक्षी अधिक रंगीन होती है और नर अंडों की देखभाल करता है, जो पक्षियों में असामान्य व्यवहार है।
  • नांजरायन पक्षी अभयारण्य तिरुपुर शहर का एक प्रमुख जैव विविधता केंद्र बनता जा रहा है, जो खासकर प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित ठिकाना साबित हो रहा है।

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