नलगोंडा जिला, तेलंगाना

नलगोंडा जिला, तेलंगाना

नलगोंडा जिला तेलंगाना के दक्षिणी भाग की ओर स्थित है। जिले पर शासन करने वाले प्रसिद्ध राजवंश सातवाहन राजा, काकतीय और मुगल शासक थे। नलगोंडा जिला 1 नवंबर 1956 को तेलंगाना का एक हिस्सा बन गया।
नलगोंडा जिले का भूगोल
नलगोंडा के उत्तर में मेडक जिले और वारंगल जिले स्थित हैं। दक्षिण की ओर गुंटूर जिला और महबूबनगर जिला है, खम्मम जिला और कृष्णा जिला नलगोंडा के पूर्व में स्थित है और अंतिम लेकिन कम से कम रंगारेड्डी नलगोंडा के पश्चिम में स्थित नहीं है। क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ कृष्णा नदी, मुसी नदी, आलेर नदी, डिंडी नदी, हललिया नदी, कोंगल नदी और पेद्दावगु नदी हैं। मई का महीना साल का सबसे गर्म महीना होने के कारण नलगोंडा जिले की जलवायु गर्म और शुष्क होती है। वहीं दिसंबर साल का सबसे ठंडा महीना होता है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाओं से होती है और सितंबर के महीने में बहुत अधिक वर्षा होती है। इस क्षेत्र में आमतौर पर पाए जाने वाले वनों के प्रकार मिश्रित पर्णपाती वन और उष्णकटिबंधीय कांटेदार वन हैं।
नलगोंडा जिले की जनसंख्या
2011 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या 3,488,809 है। जिले की साक्षरता दर 64.20 है।
नलगोंडा जिले की संस्कृति
मुख्य रूप से नलगोंडा जिले के लोगों द्वारा प्रचलित धर्म हिंदू धर्म, इस्लाम और ईसाई धर्म हैं। उगादी, दशहरा, दिवाली और संक्रांति इस क्षेत्र में धूमधाम से मनाए जाने वाले मुख्य त्योहार हैं। अन्य त्योहार ईद-उल-फितर और क्रिसमस हैं। कोलाटम जैसे ग्रामीण नृत्य और भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी सहित शहरी नृत्य नलगोंडा जिले का एक अभिन्न अंग हैं। कर्नाटक और हिंदुस्तानी संगीत भी लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ है।
नलगोडा जिले में अर्थव्यवस्था
नलगोंडा जिले के अधिकांश लोग कृषि में लगे हुए हैं। नलगोंडा जिले के मंदिर अपनी स्थापत्य सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं। जिले के कुछ प्रसिद्ध मंदिर पचला सोमेश्वर मंदिर, अगस्त्येश्वर मंदिर, छाया सोमेश्वर मंदिर और कुलपाकजी तीर्थ हैं। इन मंदिरों में अद्भुत वास्तुशिल्प डिजाइन और शैलियां हैं।

Originally written on December 21, 2021 and last modified on December 21, 2021.

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