नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या घटकर 3 पर पहुँची, केंद्र सरकार ने बताया ऐतिहासिक उपलब्धि

भारत सरकार ने घोषणा की है कि देश में वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism – LWE) से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या अब घटकर केवल तीन रह गई है। पहले यह संख्या छह थी, परंतु अब केवल बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर (तीनों छत्तीसगढ़ राज्य में) ही अत्यधिक प्रभावित जिलों की श्रेणी में आते हैं।
नक्सलवाद मुक्त भारत की ओर बढ़ता कदम
गृह मंत्रालय ने एक बयान में इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नक्सलमुक्त भारत की दिशा में एक “ऐतिहासिक प्रगति” बताया है। मंत्रालय के अनुसार, सरकार के राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan) और प्रभावी नीतियों के तहत लगातार अभियान चलाकर उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है।
रिकॉर्ड तोड़ अभियान: 2025 में बड़ी कामयाबी
मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आँकड़ों के अनुसार:
- वर्ष 2025 में अब तक 312 नक्सली मारे गए — यह अब तक की सबसे बड़ी वार्षिक संख्या है।
- 800 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है।
- 1,600 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में आने का निर्णय लिया है।
सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद को पूरी तरह समाप्त करना है।
विकास और सुरक्षा का समन्वय
सरकार का रुख स्पष्ट है कि सुरक्षा अभियान के साथ-साथ इन क्षेत्रों में विकास कार्यों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सेवाएँ, शिक्षा, और आजीविका के साधनों को बढ़ावा देने जैसे उपायों से प्रभावित क्षेत्रों में जनजीवन सामान्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- वामपंथी उग्रवाद (LWE) को आमतौर पर नक्सलवाद के नाम से जाना जाता है, जिसकी शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से हुई थी।
- राष्ट्रीय कार्य योजना (National Policy and Action Plan) को केंद्र सरकार ने 2015 में लागू किया था।
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ‘सुरक्षा और विकास’ की दोहरी रणनीति अपनाई गई है।
- केंद्रीय बलों के साथ-साथ राज्य पुलिस की संयुक्त कार्यवाहियों से सफलता मिली है।