धार्मिक और आहार संबंधी आपत्तियों के चलते केंद्र सरकार ने 11 पशु-आधारित बायोस्टिमुलेंट्स की बिक्री पर लगाई रोक

कृषि क्षेत्र में पौधों की वृद्धि और उत्पादकता बढ़ाने वाले बायोस्टिमुलेंट्स को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। पहले फसल उपयोग के लिए स्वीकृत 11 पशु-आधारित बायोस्टिमुलेंट्स को अब केंद्र सरकार ने “धार्मिक और आहार संबंधी प्रतिबंधों” के कारण प्रतिबंधित कर दिया है। यह कदम हिंदू और जैन समुदायों के कुछ व्यक्तियों द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बाद उठाया गया है, जिनकी शिकायतें केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यालय तक पहुँची थीं।
क्या होते हैं बायोस्टिमुलेंट्स?
बायोस्टिमुलेंट्स ऐसे पदार्थ या सूक्ष्मजीव होते हैं जो पौधों की पोषक तत्वों के अवशोषण, वृद्धि, गुणवत्ता और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। ये खाद या कीटनाशकों की तरह सीधे पोषक तत्व नहीं देते और न ही कीटों का नियंत्रण करते हैं, बल्कि पौधों की आंतरिक प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करते हैं।
प्रतिबंधित बायोस्टिमुलेंट्स के स्रोत
इन 11 प्रतिबंधित बायोस्टिमुलेंट्स में प्रयुक्त प्रोटीन हाइड्रोलाइसेट्स निम्न पशु स्रोतों से प्राप्त हुए थे:
- मुर्गियों के पंख
- सूअर की ऊतक (टिश्यू)
- गाय या बैल की खाल और बाल
- कॉड मछली की त्वचा, हड्डियाँ और तराजू
- सार्डीन मछली की विभिन्न प्रजातियाँ
ये उत्पाद विशेष रूप से हरी मूंग, टमाटर, मिर्च, कपास, खीरा, सोयाबीन, अंगूर और धान की फसलों पर प्रयोग किए जाते थे।
सरकार की नियामकीय पहल
2021 से पहले तक भारत में बायोस्टिमुलेंट्स बिना किसी सख्त नियमन के खुले बाजार में बिकते रहे। 2021 में केंद्र सरकार ने इन्हें फर्टिलाइज़र (कंट्रोल) ऑर्डर, 1985 के तहत लाकर इनके पंजीकरण और प्रभावशीलता के प्रमाण अनिवार्य किए। फिर भी कंपनियों को 16 जून 2025 तक अनुमोदन के लिए आवेदन करने की छूट मिली थी।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जुलाई में बताया था कि चार साल पहले तक 30,000 बायोस्टिमुलेंट्स उत्पाद बिना जांच बिक रहे थे, जो अब घटकर लगभग 650 रह गए हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कदम
ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के महानिदेशक मंगी लाल जाट ने कहा कि इन पशु-आधारित उत्पादों को फिलहाल “विलंबित” किया गया है क्योंकि फोलिअर स्प्रे (पत्तियों पर छिड़काव) के रूप में प्रयोग करते समय फसल कटाई से पहले का अंतराल (pre-harvest interval) स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि इन उत्पादों को बाज़ार में आने से पहले नैतिक और धार्मिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उचित वैज्ञानिक डेटा की आवश्यकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- बायोस्टिमुलेंट्स का भारतीय बाजार: 2024 में इसका मूल्य US$ 355.53 मिलियन था और 2032 तक यह US$ 1,135.96 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।
- प्रमुख उत्पादक कंपनियाँ: कोरोमंडल इंटरनेशनल, सिंजेंटा, और गोदरेज एग्रोवेट जैसे बड़े नाम इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
- बायोस्टिमुलेंट्स की बिक्री: ये आमतौर पर तरल रूप में उपलब्ध होते हैं और फसलों पर स्प्रे के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
- प्रोटीन हाइड्रोलाइसेट्स: ये अमीनो एसिड और पेप्टाइड्स के मिश्रण होते हैं, जो पौधों की वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं।