देवास केस (Devas Case) क्या है?

देवास केस (Devas Case) क्या है?

देवास एक मल्टी मीडिया कंपनी है। यह उपग्रह आधारित सेवाएं प्रदान करती है। एंट्रिक्स (Antrix) एक भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है। यह इसरो की व्यावसायिक शाखा है। यानी इसरो उपग्रहों को लांच करता है और एंट्रिक्स के माध्यम से निजी फर्मों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है। यह अंतरिक्ष विभाग द्वारा संचालित है।

एंट्रिक्स-देवास सौदा (Antrix–Devas Deal)

  • 2005 में, एंट्रिक्स और देवास ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत देवास को मोबाइल यूजर्स को मल्टीमीडिया सेवाएं देनी थी। सेवाएं एंट्रिक्स से लीज पर लिए गए S-बैंड उपग्रह का उपयोग करके प्रदान की जानी थीं।
  • 2011 में UPA सरकार ने इस समझौते को रद्द कर दिया था। UPA सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए S-बैंड चाहती थी।
  • देवास इंटरनेशनल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और दो BIT (Bilateral Investment Treaty) मध्यस्थता में गया। देवास ने परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में भी केस दायर किया। परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने फैसला सुनाया कि एंट्रिक्स को मुआवजे के रूप में 1.6 बिलियन अमरीकी डालर का भुगतान करना होगा।

2011 में सौदा क्यों रद्द कर दिया गया था?

नियमों का पालन न करने, हितों के टकराव, पक्षपात और वित्तीय कुप्रबंधन के कारण इसे रद्द कर दिया गया था।

यह अब खबरों में क्यों है?

3 जनवरी, 2022 को देवास ने घोषणा की कि उसे एक ऑर्डर मिला है। यह आदेश देवास को एयर इंडिया की 30 मिलियन अमरीकी डालर की संपत्ति को जब्त करने की अनुमति देता है। यह आदेश कनाडा की एक अदालत ने जारी किया था।

कनाडा की एक अदालत आदेश कैसे जारी कर सकती है?

कनाडाई क्षेत्राधिकार प्रतिबंधात्मक प्रतिरक्षा (restrictive immunity) का अनुसरण करता है। भारत भी प्रतिबंधात्मक प्रतिरक्षा का पालन करता है। प्रतिबंधात्मक प्रतिरक्षा का अर्थ है कि एक राज्य एक निश्चित सीमा तक अन्य राज्य (या देश) की अदालतों के अधिकार क्षेत्र से मुक्त है। यानी इसे एक हद तक दूसरे देश के नियमों और विनियमों को सुनने या देखने की जरूरत नहीं है।

भारत के पास क्या विकल्प हैं?

भारत या तो कनाडा की अपीलीय अदालत में फैसले को चुनौती दे सकता है या वह इसका पालन कर सकता है। यह बहुत कम संभावना है कि भारत इस फैसले का पालन करेगा।

Originally written on January 11, 2022 and last modified on January 11, 2022.

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