दूसरी भारत‑अ सियान रक्षा मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक: क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग में नया अध्याय
कुआलालंपुर, मलेशिया में आयोजित दूसरी भारत‑अ सियान रक्षा मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक ने दक्षिण‑पूर्व एशिया में भारत की रणनीतिक भूमिका को और अधिक प्रबल किया है। इस बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब इस क्षेत्र में केवल एक मित्र राष्ट्र नहीं, बल्कि सुरक्षा सहयोग का प्रमुख स्तंभ बन चुका है।
समग्र रणनीतिक साझेदारी की दिशा में पहल
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस बैठक को एक ऐसा मंच बताया, जहां भारत और अ सियान देशों के बीच “समग्र रणनीतिक साझेदारी” को नए आयाम दिए जा सकते हैं। उन्होंने रक्षा, साइबर सुरक्षा और समुद्री स्थिरता के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अलावा, यह भी बताया गया कि भारत‑अ सियान कार्ययोजना 2026–2030 एक साझा सुरक्षा ढांचे का आधार बनेगी, जिसमें तकनीक हस्तांतरण और क्षमता निर्माण जैसी पहलों को प्राथमिकता दी जाएगी।
सहयोग को बढ़ावा देने वाली प्रमुख पहलें
बैठक में दो बड़ी घोषणाएँ की गईं, जो क्षेत्रीय सहयोग को और मजबूत करेंगी। पहली, संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए “अ सियान‑भारत महिला पहल”, और दूसरी, रक्षा विषयों पर विचार-विमर्श के लिए “अ सियान‑भारत रक्षा थिंक टैंक संवाद”। ये दोनों पहलें सदस्य देशों के बीच वैचारिक तथा रणनीतिक समन्वय को नई दिशा देंगी।
इसके अतिरिक्त, बैठक में भारत की आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन नीति, साइबर सुरक्षा क्षमताओं और स्वदेशी सैन्य नवाचार को सराहा गया। अ सियान देशों ने भारत के मॉडल को अपने रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए उपयोगी बताया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- दूसरी भारत‑अ सियान रक्षा मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक मलेशिया के कुआलालंपुर में हुई।
- दो प्रमुख पहलें घोषित की गईं: महिलाएं संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में और रक्षा थिंक टैंक संवाद।
- भारत‑अ सियान कार्ययोजना 2026–2030 रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है।
- फिलीपीन और कंबोडिया ने भारत की समुद्री नीतियों और शांति अभियानों में भूमिका की सराहना की।
समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता
बैठक के दौरान समुद्री सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई। भारत की अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों, विशेष रूप से समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS), के प्रति प्रतिबद्धता को सराहा गया। भारत‑अ सियान समुद्री अभ्यास की आगामी श्रृंखला भी इस सहयोग को और मजबूत करेगी, जिससे इंडो‑पैसिफिक क्षेत्र में संयुक्त संचालन क्षमता में इज़ाफा होगा।