दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुंबक निर्माण को बढ़ावा देने हेतु ₹7,280 करोड़ की योजना

दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुंबक निर्माण को बढ़ावा देने हेतु ₹7,280 करोड़ की योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में ₹7,280 करोड़ की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य भारत में “रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स” (REPMs) के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना है। यह निर्णय देश की उन व्यापक रणनीतियों का हिस्सा है, जिनका लक्ष्य महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर निर्भरता घटाना और उच्च-प्रौद्योगिकी विनिर्माण क्षेत्रों में आत्मनिर्भर आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करना है।

योजना का उद्देश्य

इस योजना का आधिकारिक नाम “सिन्टर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स के निर्माण को प्रोत्साहन देने की योजना” रखा गया है। इसका लक्ष्य प्रति वर्ष 6,000 मीट्रिक टन (MTPA) की उत्पादन क्षमता स्थापित करना है। ये चुंबक विद्युत वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों, रक्षा प्रणालियों, चिकित्सा उपकरणों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों के लिए अत्यंत आवश्यक घटक हैं।

अवधि और कार्यान्वयन प्रक्रिया

यह कार्यक्रम कुल सात वर्षों तक चलेगा, जिसमें पहले दो वर्ष परियोजना के लिए आवश्यक संयंत्र और अवसंरचना के विकास हेतु ‘गर्भकाल अवधि’ के रूप में निर्धारित किए गए हैं, जबकि शेष पाँच वर्ष प्रोत्साहन वितरण के होंगे। प्रोत्साहन राशि वास्तविक बिक्री से जुड़ी होगी, जिससे निर्माण दक्षता और बाज़ार प्रतिस्पर्धा दोनों को प्रोत्साहन मिलेगा। योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भारी उद्योग मंत्रालय के पास होगी, जो अन्य तकनीकी मंत्रालयों के साथ समन्वय में कार्य करेगा।

भारत के लिए रणनीतिक महत्व

वर्तमान में भारत अपने अधिकांश दुर्लभ पृथ्वी तत्व चीन जैसे देशों से आयात करता है। यह योजना देश में इन तत्वों के परिष्करण, सिंटरिंग और चुंबक निर्माण का संपूर्ण घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करेगी। यह पहल “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” मिशनों के अनुरूप है और स्वच्छ ऊर्जा, विद्युत गतिशीलता तथा रक्षा उद्योग जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को सशक्त करेगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • योजना का कुल बजटीय प्रावधान ₹7,280 करोड़ है।
  • वार्षिक उत्पादन लक्ष्य 6,000 मीट्रिक टन REPMs का है।
  • योजना की अवधि सात वर्ष होगी दो वर्ष स्थापना हेतु और पाँच वर्ष प्रोत्साहन वितरण हेतु।
  • प्रभावित प्रमुख क्षेत्र: विद्युत वाहन, रक्षा, एयरोस्पेस और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग।

भविष्य की संभावनाएँ और औद्योगिक प्रभाव

सरकार को उम्मीद है कि यह पहल निजी निवेश को आकर्षित करेगी और चुंबक प्रौद्योगिकी में अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहन देगी। घरेलू स्तर पर REPM निर्माण से भारत की औद्योगिक मज़बूती बढ़ेगी, स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को गति मिलेगी, और तकनीकी रूप से दक्ष मानव संसाधन के लिए नए अवसर उत्पन्न होंगे। यह कदम भारत को उन्नत विनिर्माण में वैश्विक प्रतिस्पर्धा के केंद्र में स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम सिद्ध हो सकता है।

Originally written on November 27, 2025 and last modified on November 27, 2025.

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