दुर्लभ धातुओं की कमी से जूझ रही भारतीय ऑटो इंडस्ट्री: चीन की सख्ती का दिख रहा असर

भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग पर चीन द्वारा दुर्लभ पृथ्वी धातुओं (Rare Earth Elements) की आपूर्ति पर लगाए गए अप्रत्यक्ष प्रतिबंधों का असर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। प्रमुख वाहन निर्माता कंपनियाँ, जैसे रॉयल एनफील्ड, अपने मॉडलों से उपकरणों को हटाने जैसे अस्थायी उपाय अपनाने पर मजबूर हो रही हैं, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरी उजागर होती है।

रॉयल एनफील्ड का तात्कालिक उपाय

रॉयल एनफील्ड ने हाल ही में अपने ग्राहकों को सूचित किया कि गियर पोजिशन सेंसर में प्रयुक्त दुर्लभ धातुओं की वैश्विक कमी के कारण उन्होंने “अस्थायी रूप से” अपनी मोटरसाइकिलों में न्यूट्रल इंडिकेशन सिस्टम लगाया है। कंपनी ने भरोसा दिलाया कि जैसे ही आवश्यक सेंसर उपलब्ध होंगे, उन्हें बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के मोटरसाइकिलों में पुनः लगाया जाएगा।

अन्य वाहन निर्माता भी कर रहे हैं कटौती

अन्य भारतीय ऑटो निर्माता भी गैर-जरूरी फीचर्स में कटौती कर रहे हैं। एक बड़ी भारतीय कार निर्माता ने अपनी ऑटोमैटिक कारों के सेंट्रल कंसोल से गियर पोजिशन इंडिकेटर को हटा दिया है, ताकि उपलब्ध दुर्लभ धातु मैग्नेट को ज्यादा आवश्यक उपकरणों में इस्तेमाल किया जा सके, जैसे पावर स्टीयरिंग, विंडोज़, कैमरे और थ्रॉटल बॉडीज।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • दुर्लभ पृथ्वी धातुओं में नियोडाइमियम, प्रासेओडाइमियम, और डाइसप्रोसियम जैसे तत्व शामिल होते हैं जो EV मोटर्स में प्रयुक्त मैग्नेट्स के लिए आवश्यक हैं।
  • चीन दुर्लभ धातुओं के परिष्करण (processing) में वैश्विक स्तर पर अग्रणी है, भले ही कच्चा माल अन्य देशों में भी मौजूद हो।
  • भारत में IREL (India) Ltd नामक PSU दुर्लभ धातुओं का परिष्करण करता है, लेकिन मैग्नेट उत्पादन की प्रक्रिया अभी भारत में विकसित नहीं हुई है।
  • FY21 से FY25 तक भारत में परमानेंट मैग्नेट की खपत 12,400 टन से बढ़कर 53,700 टन हो गई है — 88% की वृद्धि।

वैश्विक व्यापार तनाव और चीन की रणनीति

अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ के जवाब में चीन ने न केवल अमेरिका, बल्कि अन्य देशों के लिए भी दुर्लभ धातुओं की आपूर्ति प्रक्रिया को जटिल बना दिया है। चीन की वाणिज्य मंत्रालय ने कई भारतीय आवेदनों को खारिज कर दिया, जबकि यूरोप के आवेदन स्वीकृत हो गए। इसके चलते आपूर्ति में देरी और लागत में वृद्धि हो रही है।

भारत की कूटनीतिक पहल

हालांकि हालिया भारत-चीन कूटनीतिक संवाद के बाद ऑटो उद्योग को थोड़ी राहत की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने जुलाई में कहा था कि दोनों देशों के बीच इस विषय पर बातचीत जारी है, जिससे आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

भविष्य की रणनीति

भारत के लिए आवश्यक है कि वह न केवल दुर्लभ धातुओं का परिष्करण बढ़ाए, बल्कि उनके उच्च तकनीकी उपयोग — जैसे मैग्नेट निर्माण — की घरेलू क्षमता भी विकसित करे। यह आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप होगा और वैश्विक झटकों से बचाने में मदद करेगा।
दुर्लभ धातुओं पर निर्भरता और उनकी अनुपलब्धता से भारत के ईवी और ऑटोमोटिव उद्योग को जो खतरे उत्पन्न हो रहे हैं, वह स्पष्ट संकेत देते हैं कि अब भारत को घरेलू संसाधनों और तकनीक पर अधिक निवेश करना होगा।

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