दुर्लभ जिगर रोग ‘PSC’ के लिए नई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी ‘Nebokitug’ से उम्मीद की किरण
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस के शोधकर्ताओं द्वारा एक नई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी ‘Nebokitug’ के प्रारंभिक परीक्षणों में प्राथमिक स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस (PSC) नामक दुर्लभ जिगर रोग के इलाज में सुरक्षा और प्रभावशीलता के संकेत मिले हैं। यह बीमारी अब तक किसी भी अनुमोदित उपचार से वंचित रही है, जिससे यह शोध चिकित्सा जगत में महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।
प्राथमिक स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस: एक अपरिभाषित रोग
PSC एक दीर्घकालिक, प्रगतिशील यकृत रोग है, जिसमें पित्त नलिकाओं में सूजन और स्कारिंग होती है। इससे पित्त का संचित होना, यकृत में सूजन और धीरे-धीरे सिरोसिस, यकृत विफलता, और अंततः प्रतिरोपण की आवश्यकता हो सकती है।
इस रोग का स्पष्ट कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, हालांकि अधिकतर PSC मरीजों को इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) भी होता है, जिससे आंत-यकृत प्रतिरक्षा संबंध की संभावना मानी जाती है। वर्तमान में रोग का उपचार लक्षण नियंत्रण और जटिलताओं की निगरानी तक ही सीमित है।
‘Nebokitug’ थेरेपी की कार्यप्रणाली
Nebokitug एक प्रयोगशाला में विकसित मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है, जो CCL24 नामक प्रोटीन को निष्क्रिय करती है। PSC मरीजों में यह प्रोटीन अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है, विशेषकर पित्त नलिकाओं के आसपास, जहाँ यह प्रतिरक्षा कोशिकाओं की सक्रियता और ऊतक स्कारिंग को बढ़ावा देता है।
पूर्व-नैदानिक शोधों में यह पाया गया कि CCL24 को अवरुद्ध करने से सूजन और फाइब्रोसिस दोनों में कमी आती है, जिससे मनुष्यों पर इसका परीक्षण शुरू किया गया।
फेज-2 क्लीनिकल ट्रायल और सुरक्षा परिणाम
इस क्लीनिकल ट्रायल में 5 देशों के 76 PSC मरीजों को शामिल किया गया। इन्हें तीन सप्ताह में एक बार, कुल 15 सप्ताह तक, दो विभिन्न खुराकों में Nebokitug या प्लेसबो का अंतःशिरा (IV) रूप से दिया गया।
प्रमुख उद्देश्य था सुरक्षा और सहनशीलता का मूल्यांकन। परिणामों से स्पष्ट हुआ कि Nebokitug सुरक्षित और सहनीय है और परीक्षण अवधि में कोई गंभीर सुरक्षा समस्या नहीं देखी गई।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
• PSC (Primary Sclerosing Cholangitis) एक दुर्लभ, क्रॉनिक कोलेस्टेटिक लिवर रोग है।
• वर्तमान में PSC के लिए कोई अनुमोदित औषधीय उपचार उपलब्ध नहीं है।
• मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज प्रतिरक्षा प्रणाली के विशिष्ट अणुओं को लक्षित करने वाले प्रयोगशाला निर्मित प्रोटीन होते हैं।
• फेज-2 क्लीनिकल ट्रायल में प्राथमिक लक्ष्य होता है सुरक्षा और प्रारंभिक प्रभावशीलता का मूल्यांकन।
प्रभावशीलता के संकेत और भविष्य की संभावनाएँ
हालांकि यह ट्रायल मुख्य रूप से सुरक्षा पर केंद्रित था, फिर भी Nebokitug लेने वाले मरीजों, विशेषकर जिनमें ज्यादा यकृत स्कारिंग थी, उनमें लीवर स्टिफनेस और फाइब्रोसिस-बायोमार्करों में सुधार देखा गया।
यूसी डेविस हेल्थ के क्रिस्टोफर बौलस के अनुसार, यह थेरेपी रोग की प्रगति को बदलने में सक्षम हो सकती है। हालांकि इसके लिए बड़े और दीर्घकालिक परीक्षणों की आवश्यकता होगी, परंतु यह अध्ययन PSC के लिए पहली बार रोग को संशोधित करने वाली संभावित चिकित्सा के रूप में देखा जा रहा है।
यह शोध उन हजारों PSC मरीजों के लिए एक नई आशा की किरण बन सकता है, जो अब तक सीमित चिकित्सा विकल्पों पर निर्भर थे।