दिसंबर 2025 मौद्रिक नीति समीक्षा: ₹1 लाख करोड़ के OMO और डॉलर-स्वैप से RBI की तरलता रणनीति
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने दिसंबर 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में दो बड़े उपायों की घोषणा की है — ₹1 लाख करोड़ के ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) और $5 अरब का तीन वर्षीय डॉलर–रुपया बाय/सेल स्वैप। इन पहलों का उद्देश्य रुपए में तेज़ गिरावट से उत्पन्न दबावों को कम करना, मौद्रिक नीति के प्रसारण को सुचारु बनाना और मनी मार्केट में स्थिरता बनाए रखना है।
ओपन मार्केट ऑपरेशंस: तरलता प्रबंधन का मुख्य साधन
OMO आरबीआई का एक प्रमुख मौद्रिक उपकरण है जिसके जरिए वह सरकारी प्रतिभूतियों (government securities) को खरीदता या बेचता है ताकि बैंकिंग प्रणाली में तरलता (liquidity) को प्रभावित किया जा सके। जब RBI OMO खरीद करता है, तो वह बैंकों में धन प्रवाह बढ़ाता है, जिससे वे अधिक ऋण देने में सक्षम होते हैं। इसके विपरीत, OMO बिक्री के ज़रिए प्रणाली से नकदी हटाई जाती है।
रुपये की गिरावट के दौर में OMO क्यों अहम है
हाल ही में रुपया प्रति डॉलर 90 के पार चला गया है, जिससे विदेशी निवेशकों की निकासी और डॉलर की मांग बढ़ी है। इस स्थिति में तरलता पर दबाव बढ़ता है और अल्पकालिक ब्याज दरें चढ़ने लगती हैं। OMO खरीद के ज़रिए RBI प्रणाली में दीर्घकालिक तरलता डालकर इस दबाव को संतुलित करता है। इससे मनी मार्केट में अस्थिरता कम होती है और सभी बैंकों में मौद्रिक नीति का प्रभाव समान रूप से प्रसारित होता है।
OMO बनाम अल्पकालिक उपकरण
गवर्नर ने स्पष्ट किया कि OMO जैसे उपकरण दीर्घकालिक तरलता के लिए होते हैं, जबकि रेपो और वैरिएबल रेट रेपो (VRR) जैसे साधन अल्पकालिक तरलता के असंतुलन को ठीक करते हैं।
जहां OMO से बाजार में स्थायी नकदी प्रवाह सुनिश्चित होता है, वहीं VRR से यह सुनिश्चित किया जाता है कि वेटेड एवरेज कॉल रेट (WACR) — अल्पकालिक बाजार दर — नीति रेपो दर के करीब रहे, जो वर्तमान में 5.25% पर है।
आरबीआई आवश्यकता अनुसार एक ही समय में दीर्घकालिक तरलता डालने (OMO से) और अल्पकालिक नकदी खींचने (VRR से) दोनों उपाय कर सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- RBI ने ₹1 लाख करोड़ के OMO खरीद और $5 अरब डॉलर-रुपया स्वैप की घोषणा की है।
- OMO सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री द्वारा तरलता प्रबंधन का तरीका है।
- डॉलर की मांग बढ़ने से रुपए पर दबाव बढ़ता है और प्रणाली में नकदी की कमी होती है।
- नीति रेपो दर फिलहाल 5.25% है, जो अल्पकालिक ब्याज दरों को नियंत्रित करती है।
नीतिगत संदर्भ और आर्थिक परिदृश्य
वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद RBI ने भारत की विकास संभावनाओं को लेकर आशावाद व्यक्त किया है। गवर्नर ने कहा कि महंगाई का रुझान अनुकूल है, जिससे RBI को विकास समर्थक उपायों के लिए स्थान मिल रहा है। RBI की तरलता नीति इस तरह डिज़ाइन की गई है कि वह प्रणाली की स्थिरता बनाए रखे और मौद्रिक नीति का प्रभाव वित्तीय तंत्र में प्रभावी ढंग से प्रसारित हो सके।
इन उपायों के ज़रिए RBI एक सशक्त संकेत दे रहा है कि वह रुपए की स्थिरता और वित्तीय प्रणाली में विश्वास बनाए रखने को लेकर गंभीर है।