दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर स्थिति में

दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर स्थिति में

दिल्ली की वायु गुणवत्ता एक बार फिर चिंताजनक स्तर पर पहुँच गई है। हाल ही में राजधानी का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 361 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। कई इलाकों में AQI 400 से ऊपर चला गया है, जिससे ये क्षेत्र ‘गंभीर’ प्रदूषण स्तर में गिने जा रहे हैं। इसके बावजूद अभी तक GRAP (ग्रेसड रिस्पांस एक्शन प्लान) का तीसरा चरण लागू नहीं किया गया है।

प्रदूषण के हालात और कारण

दिल्ली में वायु प्रदूषण के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं। इसमें वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों की धूल, पराली जलाने से उठने वाला धुआं और ठंड की शुरुआत के साथ हवा का भारी हो जाना शामिल है। ये सभी मिलकर हवा में मौजूद हानिकारक कणों की मात्रा को बढ़ा देते हैं।
हाल ही में शहर के कुछ इलाकों जैसे वज़ीरपुर, बुराड़ी और विवेक विहार में AQI 400 से ऊपर रहा, जो सीधे तौर पर ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। वहीं नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा जैसे NCR क्षेत्रों में भी स्थिति ‘बहुत खराब’ बनी हुई है।

GRAP Stage 3 अभी क्यों नहीं लागू हुआ

GRAP का तीसरा चरण तब लागू किया जाता है जब AQI लगातार गंभीर स्थिति में बना रहता है। हालांकि इस बार अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस बार के नवंबर में हवा की गुणवत्ता अपेक्षाकृत बेहतर रही है। इसके साथ ही धूल नियंत्रण, सड़क सफाई, एंटी-स्मॉग गन और उद्योगों पर निगरानी जैसे कदमों से प्रदूषण पर कुछ हद तक नियंत्रण बना हुआ है। यही कारण है कि फिलहाल Stage 3 को टाल दिया गया है।

स्वास्थ्य पर खतरे

इस स्तर की हवा में सांस लेना बच्चों, बुजुर्गों और दिल या फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने से श्वसन तंत्र में सूजन, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और अन्य जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ‘बहुत खराब’ AQI श्रेणी 301–400 के बीच होती है, जबकि 401–450 ‘गंभीर’ और उससे ऊपर ‘अत्यंत गंभीर’ मानी जाती है।
  • GRAP के चार चरण होते हैं: ‘खराब’, ‘बहुत खराब’, ‘गंभीर’ और ‘अत्यंत गंभीर’।
  • GRAP Stage 3 लागू होने पर कुछ श्रेणी के वाहन प्रतिबंधित होते हैं और स्कूलों को ऑनलाइन मोड में बदला जा सकता है।
  • वायु गुणवत्ता में गिरावट सर्दी के मौसम में अधिक होती है क्योंकि हवा ठंडी और भारी होने से प्रदूषक नीचे जमा हो जाते हैं।

नागरिकों की भूमिका और सुझाव

प्रदूषण पर नियंत्रण में केवल सरकारी प्रयास ही नहीं, नागरिक सहयोग भी आवश्यक है। लोगों को चाहिए कि वे अधिकतम सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें, निजी वाहनों की नियमित जांच कराएं, खुले में कचरा न जलाएं और निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपाय अपनाएं।

Originally written on November 10, 2025 and last modified on November 10, 2025.

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