दिल्ली में पेड़ की परिभाषा पर स्पष्टता: शाखाओं को अलग पेड़ नहीं माना जाएगा

दिल्ली सरकार के वन विभाग ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण परिपत्र जारी कर पेड़ की परिभाषा को लेकर उत्पन्न हो रही अस्पष्टता को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाया है। दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम (Delhi Preservation of Trees Act – DPTA), 1994 के तहत, अब यह स्पष्ट कर दिया गया है कि शाखाओं और अंकुरों (shoots) को अलग पेड़ के रूप में नहीं गिना जाएगा।

पेड़ की कानूनी परिभाषा

परिपत्र के अनुसार, DPTA 1994 की धारा 2(i) में “पेड़” की परिभाषा इस प्रकार दी गई है: “ऐसा लकड़ी का पौधा जिसकी शाखाएं एक मुख्य तने या शरीर से निकलती हैं और उसी पर आधारित होती हैं, तथा जिसका तना या शरीर ज़मीन से 30 सेंटीमीटर की ऊँचाई पर कम से कम 5 सेंटीमीटर मोटा हो और ज़मीन से कम से कम 1 मीटर ऊँचा हो।”
इस परिभाषा का अनुपालन “पूर्णतः और स्पष्ट रूप से” करने का निर्देश सभी विभागीय अधिकारियों को दिया गया है, ताकि किसी प्रकार की व्याख्या की गलती से बचा जा सके।

परिपत्र की पृष्ठभूमि और उद्देश्य

वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह परिपत्र इसलिए आवश्यक था क्योंकि कई बार देखा गया कि किकर और बबूल जैसे वृक्षों की अनेक शाखाएं ज़मीन से उगती हैं और उन्हें अलग-अलग पेड़ माना जाने लगा था। कुछ मामलों में तो मिट्टी से निकलते अंकुरों को भी अलग पेड़ मान लिया गया था। यह परिभाषा की गलत व्याख्या है, जिसे अब स्पष्ट रूप से गलत घोषित कर दिया गया है।
वन विभाग के अनुसार, शाखाएं कभी भी पेड़ नहीं मानी जातीं और इस भ्रम को दूर करना आवश्यक हो गया था, विशेषकर पेड़ की छंटाई (pruning) के दौरान उठे विवादों के चलते।

छंटाई को लेकर दिशा-निर्देश

DPTA के अंतर्गत छंटाई के लिए बनाए गए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) में स्पष्ट किया गया है कि सड़कों, रेलवे लाइनों, फुटपाथों आदि के किनारे उग आईं “अवांछनीय और खतरनाक शाखाओं” को हटाना आवश्यक है ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। SOP के अनुसार, कमजोर शाखाओं और तने के आधार से उगे अंकुरों को हटाना वृक्ष के स्वस्थ भागों पर नई शाखाओं और फलों की वृद्धि में सहायक होता है, जिससे पक्षियों और जानवरों को भी भोजन उपलब्ध हो पाता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम (DPTA), 1994 राजधानी क्षेत्र में वृक्षों की कटाई, छंटाई और सुरक्षा से संबंधित कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
  • पेड़ की कानूनी परिभाषा में शाखाओं और अंकुरों को तब तक पेड़ नहीं माना जाएगा जब तक वे निर्दिष्ट ऊंचाई और मोटाई के मापदंडों को पूरा न करें।
  • छंटाई SOP के अनुसार, सार्वजनिक सुरक्षा और वृक्ष संरक्षण के संतुलन हेतु खतरनाक शाखाओं को हटाना वैध है।
  • किकर और बबूल जैसे वृक्ष अक्सर बहु-शाखीय होते हैं, जिन्हें अब एकल पेड़ के रूप में ही गिना जाएगा।

दिल्ली सरकार का यह कदम कानूनी परिभाषा को स्पष्ट कर पर्यावरण संरक्षण और शहरी वृक्ष प्रबंधन में पारदर्शिता लाने का प्रयास है। यह दिशा-निर्देश न केवल प्रशासनिक निर्णयों को संगठित करेगा, बल्कि पर्यावरण कार्यकर्ताओं और नागरिकों के बीच गलतफहमियों को भी दूर करने में मदद करेगा।

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