दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का परीक्षण: प्रदूषण नियंत्रण की नई उम्मीद या सीमित उपाय?
दिल्ली में वायु प्रदूषण हर वर्ष शीतकाल में गंभीर रूप धारण कर लेता है। इसी चुनौती से निपटने के लिए दिल्ली सरकार और IIT कानपुर के साझा प्रयास से पहली बार राजधानी में क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम वर्षा की तकनीक का परीक्षण किया गया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसे राजधानी के लिए “एक आवश्यक तकनीकी पहल” बताया है, जो भविष्य में वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए उपयोगी हो सकती है।
क्या है क्लाउड सीडिंग?
क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसमें रजत आयोडाइड (Silver Iodide) और सोडियम क्लोराइड (Sodium Chloride) जैसे यौगिकों को हवाई जहाज या रॉकेट के माध्यम से बादलों में छोड़ा जाता है, ताकि कृत्रिम रूप से वर्षा करवाई जा सके। यह तकनीक विशेष रूप से उन क्षेत्रों में उपयोग की जाती है जहां वर्षा की कमी होती है या पर्यावरणीय परिस्थितियाँ चुनौतीपूर्ण होती हैं।
दिल्ली में पहला परीक्षण: परिणाम और चुनौतियाँ
23 अक्टूबर, 2025 को दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र में इसका पहला परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान:
- IIT कानपुर और दिल्ली सरकार की टीमों ने Cessna 206-H विमान से सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड फैलाया।
- परीक्षण में कोई वर्षा नहीं हुई, क्योंकि नमी का स्तर केवल 15% था, जबकि सफल वर्षा के लिए कम से कम 50% नमी की आवश्यकता होती है।
- IIT कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार, यह उड़ान मुख्यतः सिस्टम, उपकरण और समन्वय का आकलन करने के उद्देश्य से की गई थी।
परियोजना की रूपरेखा और लागत
दिल्ली सरकार ने मई 2025 में ₹3.21 करोड़ की लागत से पाँच क्लाउड सीडिंग ट्रायल की योजना को मंज़ूरी दी थी। इसके लिए IIT कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग को विमान उड़ाने की अनुमति एयरक्राफ्ट नियम, 1937 की धारा 26(2) के अंतर्गत दी गई है।
हालांकि, मानसून की अनिश्चितताओं और प्रतिकूल मौसम के कारण परीक्षणों की समयसीमा कई बार बढ़ाई गई — मई, जून, अगस्त, और फिर अक्टूबर तक।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- क्लाउड सीडिंग का पहला प्रयोग 1940 के दशक में अमेरिका में किया गया था।
- Silver Iodide और Sodium Chloride वे दो प्रमुख रसायन हैं जो क्लाउड सीडिंग में प्रयोग किए जाते हैं।
- Cessna 206-H विमान का उपयोग दिल्ली परीक्षण में किया गया, जिसे IIT कानपुर संचालित कर रहा है।
- Rule 26(2), Aircraft Rules, 1937 के अंतर्गत विशेष उड़ान की अनुमति दी जाती है, जो अनुसंधान या परीक्षण उद्देश्यों के लिए होती है।
दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का यह शुरुआती प्रयास एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इसकी सफलता मौसम पर अत्यधिक निर्भर है। हालांकि वर्षा नहीं हो पाई, परन्तु तकनीकी रूप से यह परीक्षण एक ‘प्रूविंग मिशन’ के रूप में सफल रहा।