दिल्ली की हवा से जूझता लाल किला: प्रदूषण के कारण दीवारों पर काली परत

दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण ने अब न सिर्फ जनस्वास्थ्य को प्रभावित किया है, बल्कि देश की ऐतिहासिक धरोहरों को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि लाल किले की दीवारों पर ‘ब्लैक क्रस्ट’ यानी काली परत बन रही है, जो वायुमंडलीय प्रदूषण के कारण उत्पन्न हो रही है। यह परत केवल दीवारों की सुंदरता को ही नहीं, बल्कि उनकी संरचनात्मक मजबूती को भी क्षति पहुँचा रही है।

काली परत का कारण और रासायनिक संरचना

अध्ययन “Characterization of Red Sandstone and Black Crust to Analyze Air Pollution Impacts on a Cultural Heritage Building: Red Fort, Delhi, India” के अनुसार, लाल किले की दीवारों पर बनने वाली यह काली परत मुख्यतः जिप्सम, बैसानाइट, वेडोलाइट तथा भारी धातुओं जैसे सीसा, तांबा, जस्ता और क्रोमियम से बनी होती है। ये तत्व स्वयं पत्थर में नहीं पाए जाते, बल्कि बाहरी प्रदूषण स्रोतों जैसे वाहन उत्सर्जन, निर्माण कार्यों और सीमेंट फैक्ट्रियों से जमा होते हैं।
विशेषज्ञों ने किले की बाहरी दीवारों और जफ़र महल से नमूने इकट्ठा किए, जिनमें क्षतिग्रस्त और स्वस्थ दोनों प्रकार के लाल बलुआ पत्थर शामिल थे। विश्लेषण में पाया गया कि उच्च यातायात वाले क्षेत्रों में काली परत की मोटाई 0.5 मिलीमीटर तक पहुँच चुकी है, जो पत्थरों की सतह से मज़बूती से चिपकी होती है। इससे जटिल नक्काशी वाले हिस्सों के उखड़ने और संरचनात्मक क्षरण का खतरा बढ़ गया है।

संरक्षण की सिफारिशें

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह परत धीरे-धीरे बनती है और शुरुआती अवस्था में इसे बिना पत्थर को नुकसान पहुँचाए हटाया जा सकता है। इसके लिए नियमित सफाई और पत्थर की सतह पर सुरक्षात्मक कोटिंग लगाने की सिफारिश की गई है। अध्ययन ने इस स्थिति को “जागने की घड़ी” बताया है और सभी संबंधित एजेंसियों से नियमित देखभाल तथा प्रदूषण नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू करने का आग्रह किया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • लाल किले का निर्माण 1639 में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने शुरू करवाया था और यह 1648 में पूरा हुआ।
  • इसे यूनेस्को द्वारा 2007 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई।
  • स्वतंत्रता दिवस पर हर वर्ष भारत के प्रधानमंत्री यहीं से राष्ट्र को संबोधित करते हैं।
  • इस अध्ययन में आईआईटी रुड़की, आईआईटी कानपुर, वेनिस की Ca’ Foscari यूनिवर्सिटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग शामिल थे।

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