दिल्ली की नई ईवी नीति: साफ हवा की दिशा में एक जरूरी लेकिन अधूरी पहल
दिल्ली सरकार द्वारा 2025 में एक नई इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति लाने का निर्णय राजधानी में स्वच्छ परिवहन को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि पिछले पांच वर्षों में ईवी नीति से कुछ प्रगति अवश्य हुई है, लेकिन यह भी स्पष्ट हो गया है कि केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने से वायु प्रदूषण अपने आप नहीं घटता — जब तक कि सबसे प्रदूषित वाहन सड़कों से हटाए न जाएं और कड़ाई से नियमों का पालन न हो।
पहली ईवी नीति की उपलब्धियाँ और कमियाँ
2020 में लागू हुई दिल्ली की ईवी नीति भारत में सबसे महत्वाकांक्षी मानी गई। इसका लक्ष्य था कि 2024 तक सभी नए वाहन पंजीकरणों में 25% हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक वाहनों की हो। वर्तमान में यह आंकड़ा करीब 12% तक पहुँचा है — जो एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन मूल लक्ष्य से काफी पीछे। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस वृद्धि का दिल्ली की सर्दी की हवा की गुणवत्ता पर कोई विशेष असर नहीं पड़ा है। धुंध और स्मॉग की घटनाएँ पहले जितनी ही गंभीर बनी हुई हैं।
क्यों ईवी वृद्धि से नहीं सुधरा वायु प्रदूषण?
दिल्ली की सड़कों पर सबसे अधिक ईवी दोपहिया और तिपहिया वाहन हैं, जो पहले से ही प्रति वाहन कम उत्सर्जन करते हैं। वहीं, पुराने डीजल ट्रक, बसें और कारें, जो सबसे अधिक प्रदूषण फैलाते हैं, अब भी सड़कों पर मौजूद हैं। आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में लगभग 37% वाहन BS-III या इससे पुराने इंजन पर चलते हैं। यही वाहन सर्दियों के दौरान प्रति-कण प्रदूषण में सबसे अधिक योगदान देते हैं। नई ईवी जोड़ने से फायदा तभी होगा जब प्रदूषित वाहन हटाए जाएं, वरना सड़कों पर केवल कुल वाहनों की संख्या ही बढ़ती है।
स्क्रैपिंग में कमी और सुप्रीम कोर्ट की दखल
पुराने वाहनों को हटाने में असफलता ने न्यायालय का ध्यान खींचा। हाल में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाते हुए स्पष्ट किया कि केवल BS-IV या उससे ऊपर के इंजन वाले वाहन ही छूट के पात्र होंगे। इससे पहले पेट्रोल (15 वर्ष) और डीजल (10 वर्ष) वाहनों के लिए आयु आधारित नियमों ने भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर दी थी। बिना ठोस स्क्रैपिंग नीति के, ईवी से प्रदूषण में कोई बड़ा बदलाव संभव नहीं है।
नई ईवी नीति में क्या होगा नया?
आगामी नीति केवल खरीद सब्सिडी पर आधारित नहीं होगी, बल्कि इसे एक समग्र प्रणाली के रूप में डिजाइन किया जा रहा है। मुख्य प्रस्तावों में शामिल हैं:
- ईवी सब्सिडी को पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग से जोड़ना
- स्थानीय स्तर पर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार
- रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट
- बैटरी-स्वैपिंग मॉडल को बढ़ावा देना
इस तरह, सरकार चाहती है कि ईवी केवल अतिरिक्त वाहन न बनें, बल्कि प्रदूषित वाहनों का वास्तविक प्रतिस्थापन करें।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- दिल्ली की पहली ईवी नीति 2020 में लागू हुई थी।
- दिल्ली सरकार का लक्ष्य था कि 2024 तक 25% नए पंजीकरण ईवी हों, लेकिन अब तक यह 12% से थोड़ा ऊपर है।
- BS-III या पुराने इंजन वाले वाहन दिल्ली-एनसीआर में 37% तक बने हुए हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने हाल में स्पष्ट किया कि केवल BS-IV और उससे ऊपर के वाहन ही आयु सीमा से मुक्त होंगे।
अकेले दिल्ली नहीं कर सकती सफाई
दिल्ली एक ऐसे हवा क्षेत्र (air basin) का हिस्सा है जिसमें एनसीआर के बड़े हिस्से शामिल हैं। हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में प्रदूषण के स्रोत दिल्ली की हवा को भी प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश ने ईवी और हाइब्रिड वाहनों के लिए आक्रामक नीति अपनाई है, जिससे चार्जिंग नेटवर्क और वाहनों की संख्या दोनों में वृद्धि हुई है। दिल्ली की नीति तभी प्रभावी होगी जब यह क्षेत्रीय समन्वय के साथ लागू हो।
नीति की सफलता में सब्सिडी डिजाइन की भूमिका
केवल कितना खर्च किया जा रहा है, यह महत्वपूर्ण नहीं है; कैसे और कहाँ खर्च किया जा रहा है, यह ज्यादा मायने रखता है। सब्सिडी को होना चाहिए:
- उच्च-प्रवास (high-mileage) वाणिज्यिक वाहनों के लिए
- सार्वजनिक परिवहन बसों और अंतिम-मील डिलीवरी वाहनों के लिए
- पुराने डीजल वाहनों के प्रतिस्थापन के लिए, जहाँ हर रुपये पर सबसे अधिक उत्सर्जन घटता है
साथ ही, आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहनों के लिए कड़े उपाय — जैसे उच्च पंजीकरण शुल्क, भीड़ मूल्य निर्धारण (congestion pricing), और स्क्रैपिंग का सख्त पालन — जरूरी हैं।
निष्कर्ष: संख्या से आगे, नतीजों पर ध्यान
दिल्ली का अनुभव बताता है कि साफ परिवहन नीति केवल ईवी की बिक्री बढ़ाने का नाम नहीं है, बल्कि पूरे परिवहन तंत्र के पुनर्गठन की जरूरत है। यदि ईवी नीति केवल अतिरिक्त वाहन जोड़ती है, तो प्रदूषण में वास्तविक कमी नहीं आएगी। नई नीति के पास डिज़ाइन की खामियों को सुधारने का अवसर है। असली सफलता तभी मिलेगी जब दिल्ली अपने सबसे प्रदूषित वाहनों को हटाने की हिम्मत दिखाए — न कि सिर्फ नए, साफ वाहनों का स्वागत करे।