दार्जिलिंग मंदारिन ऑरेंज को मिला GI टैग: पहाड़ों की मिठास को मिली वैश्विक पहचान

दार्जिलिंग मंदारिन ऑरेंज को मिला GI टैग: पहाड़ों की मिठास को मिली वैश्विक पहचान

दार्जिलिंग और कालिम्पोंग की पहाड़ियों में उगाई जाने वाली प्रसिद्ध दार्जिलिंग मंदारिन ऑरेंज को अब औपचारिक रूप से भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication – GI) का दर्जा मिल गया है। यह मान्यता 24 नवंबर 2025 को प्रदान की गई, जिससे इस विशिष्ट फल की मिठास, गुणवत्ता और सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। यह वही फल है जिसने दशकों से दार्जिलिंग की कृषि परंपरा और स्थानीय अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाई है।

सामुदायिक पहल से तैयार हुआ GI आवेदन

इस GI पहल की शुरुआत 2022 में हुई थी, जब उत्तर बंगाल कृषि विश्वविद्यालय (UBKV) के पूर्व प्रोफेसर तुलसी सरण घिमिरे ने इसका प्रस्ताव रखा। तकनीकी सहायता पेटेंट सूचना केंद्र, पश्चिम बंगाल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रदान की गई। आवेदन प्रक्रिया के दौरान GI स्वामित्व UBKV से दार्जिलिंग ऑर्गेनिक फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन, मिरिक को स्थानांतरित किया गया ताकि लाभ सीधे स्थानीय किसानों तक पहुँचे। यह आवेदन GI जर्नल के वॉल्यूम 206 में 23 जुलाई 2025 को प्रकाशित हुआ था।

ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व

दार्जिलिंग और कालिम्पोंग जिलों में ऐतिहासिक रूप से प्रति वर्ष लगभग 15,000 मीट्रिक टन मंदारिन ऑरेंज का उत्पादन होता था। यह फल अपनी मिठास, सुगंध और उच्च गुणवत्ता के कारण यूरोपीय बाजारों में विशेष मांग रखता था। हालांकि, पिछले 15 वर्षों में वायरस और कीट-जनित समस्याओं के कारण उत्पादन में गिरावट आई। अब GI टैग से इस फल की ब्रांड पहचान की सुरक्षा होगी और इसका बाजार मूल्य भी बढ़ेगा, जिससे किसानों को नई ऊर्जा और आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा।

स्थानीय उत्पादकों के लिए नई उम्मीद

स्थानीय किसानों और संगठनों ने इस GI मान्यता को क्षेत्र की कृषि परंपरा के सम्मान के रूप में देखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से बागानों में निवेश बढ़ेगा, नई पौध तैयारियों को प्रोत्साहन मिलेगा और ग्रामीण आजीविका को मजबूती मिलेगी। यह फल अब पश्चिम बंगाल के 11वें कृषि एवं उद्यानिकी उत्पाद के रूप में GI सूची में शामिल हो गया है इस श्रृंखला की शुरुआत वर्ष 2005 में दार्जिलिंग टी से हुई थी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • दार्जिलिंग मंदारिन ऑरेंज को 24 नवंबर 2025 को GI टैग मिला।
  • आवेदनकर्ता संस्था बाद में दार्जिलिंग ऑर्गेनिक फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन, मिरिक बनी।
  • GI जर्नल में प्रकाशन वॉल्यूम 206, दिनांक 23 जुलाई 2025 को हुआ।
  • पश्चिम बंगाल में अब कुल 11 कृषि एवं उद्यानिकी उत्पाद GI प्रमाणित हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

उत्पादकों का मानना है कि GI मान्यता से दार्जिलिंग मंदारिन ऑरेंज की ब्रांडिंग, विपणन और निर्यात क्षमता में वृद्धि होगी। यह न केवल बागानों के पुनर्जीवन का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को भी सशक्त बनाएगा। आने वाले वर्षों में यह GI टैग दार्जिलिंग की पहाड़ियों में फिर से वही मिठास और समृद्धि लौटाने की उम्मीद जगाता है, जिसने इस क्षेत्र को दुनिया भर में “ऑरेंज हिल्स” के रूप में प्रसिद्ध किया था।

Originally written on December 2, 2025 and last modified on December 2, 2025.

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