थाईलैंड में समयपूर्व चुनाव की घोषणा: तीन माह में संसद भंग, फिर बदलेगी सत्ता की दिशा?
थाईलैंड की राजनीति एक बार फिर बदलाव के दौर में प्रवेश कर चुकी है। देश के प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नवीराकुल ने कार्यभार संभालने के सिर्फ तीन महीने के भीतर ही प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) को भंग कर दिया है। यह निर्णय राजकीय अधिसूचना (Royal Decree) के माध्यम से औपचारिक किया गया और अब देश में समयपूर्व आम चुनाव की संभावना बन गई है, जो अगले वर्ष की शुरुआत में आयोजित हो सकते हैं।
समयपूर्व भंग और संवैधानिक प्रक्रिया
सरकार द्वारा रॉयल गजट में प्रकाशित घोषणा के अनुसार, नए चुनावों की आवश्यकता प्रभावी शासन व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए बताई गई है। थाई संविधान के अनुसार, संसद भंग होने के 45 से 60 दिनों के भीतर आम चुनाव कराना अनिवार्य है। ऐसे में चुनाव जनवरी के अंत से फरवरी की शुरुआत के बीच कराए जा सकते हैं। यह कदम अपेक्षा से पहले लिया गया है, क्योंकि संसद के वर्षांत के बाद भंग होने की संभावना जताई जा रही थी।
अनुतिन चार्नवीराकुल का अल्पकालिक कार्यकाल
भुमजैथाई पार्टी के प्रमुख अनुतिन चार्नवीराकुल ने सितंबर 2025 में प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था, जब उनके पूर्ववर्ती को नैतिक उल्लंघनों के चलते संवैधानिक अदालत ने पद से हटा दिया था। अनुतिन की सरकार अल्पमत और अस्थिर गठबंधन समर्थन पर निर्भर थी। उन्होंने कार्यभार संभालते समय यह कहा था कि वे 2026 की शुरुआत तक जनादेश प्राप्त करने के लिए संसद भंग करेंगे, लेकिन यह कदम अपेक्षा से काफी पहले उठाया गया।
राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा दबाव
संसद भंग करने का निर्णय ऐसे समय पर आया है जब थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर संघर्ष तेज़ हो गया है। हालिया झड़पों में कम से कम 20 लोगों की मौत हुई है और लगभग 6 लाख नागरिक विस्थापित हो चुके हैं, जिनमें से अधिकांश थाईलैंड में शरण ले रहे हैं।
इसके साथ ही, सरकार को आंतरिक राजनीतिक संकट, गठबंधन में दरार, और जनता के बीच असंतोष का सामना करना पड़ रहा था। सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में अनुतिन ने कहा कि वे “जनता को सत्ता लौटाना” चाहते हैं—जो थाईलैंड में संसद भंग करने से पहले एक परंपरागत घोषणा मानी जाती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- थाई प्रधानमंत्री को सांविधानिक अधिकार प्राप्त है कि वह प्रतिनिधि सभा को भंग कर सकता है।
- संसद भंग होने के 45–60 दिनों के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है।
- अनुतिन चार्नवीराकुल भुमजैथाई पार्टी के नेता हैं, जो गांजा नीति के उदारीकरण के लिए जानी जाती है।
- थाईलैंड में पिछले दो वर्षों में तीन प्रधानमंत्री बदले जा चुके हैं।
बदलते गठबंधन और राजनीतिक परिदृश्य
अनुतिन पूर्व में शिनावात्रा राजनीतिक नेटवर्क से जुड़े थे, लेकिन इस वर्ष की शुरुआत में उन्होंने फेउ थाई पार्टी से संबंध विच्छेद कर लिया। यह विभाजन कंबोडिया सीमा विवाद के प्रबंधन को लेकर मतभेदों के बाद हुआ। उनके अल्पकालिक कार्यकाल के दौरान म्यांमार से जुड़ी अवैध आप्रवासन गतिविधियाँ, साइबर ठगी रैकेट, और क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताएं भी प्रमुख मुद्दे बने रहे।
यह समयपूर्व चुनाव थाईलैंड की राजनीति में एक और मोड़ और अस्थिरता की संभावना लेकर आ रहा है। आने वाले हफ्तों में देश की सत्ता संरचना और नीतिगत दिशा पर बड़ा असर पड़ सकता है।