तोतापुरी आमों पर रोक से कर्नाटक-आंध्र प्रदेश के बीच बढ़ा विवाद

आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले में दूसरे राज्यों से तोतापुरी आमों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के आदेश ने पड़ोसी राज्य कर्नाटक के साथ टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। यह निर्णय 7 जून को ज़िला कलेक्टर द्वारा जारी किया गया था और इसका उद्देश्य राज्य के स्थानीय किसानों के हितों की रक्षा करना बताया गया है, लेकिन कर्नाटक के किसान और सरकार इसे अन्यायपूर्ण मान रहे हैं।
तोतापुरी आम और विवाद की पृष्ठभूमि
तोतापुरी आम, जिसे बैंगलोर या संडर्शा भी कहा जाता है, अपनी लंबी आकृति और तोते की चोंच जैसी नोक के लिए जाना जाता है। यह आम कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमावर्ती ज़िलों में उगाया जाता है और विशेष रूप से इसके गूदे के लिए खाद्य और पेय पदार्थ उद्योगों में उच्च मांग में रहता है।
चित्तूर ज़िला कई प्रोसेसिंग यूनिट्स और गूदा निर्माण इकाइयों का केंद्र है, जो हर साल बड़ी मात्रा में तोतापुरी आमों की खरीद करती हैं। इन इकाइयों के लिए आमों की उपलब्धता और कीमत निर्णायक कारक होते हैं।
प्रतिबंध के पीछे आंध्र प्रदेश सरकार का तर्क
आंध्र प्रदेश सरकार ने इस वर्ष प्रोसेसरों के लिए तोतापुरी आम की न्यूनतम खरीद दर ₹8 प्रति किलो निर्धारित की है और किसानों को ₹4 प्रति किलो की अतिरिक्त सहायता देने का वादा किया है। जबकि कर्नाटक में यही आम ₹5-₹6 प्रति किलो पर उपलब्ध हैं। सरकार का कहना है कि यदि कर्नाटक से सस्ते आम चित्तूर में प्रवेश कर जाते हैं, तो प्रोसेसर स्थानीय आम नहीं खरीदेंगे जिससे आंध्र के किसानों को नुकसान होगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- तोतापुरी आम दक्षिण भारत की एक प्रमुख जूस किस्म है।
- चित्तूर ज़िला, आंध्र प्रदेश, देश के प्रमुख आम गूदा प्रोसेसिंग केंद्रों में से एक है।
- आंध्र सरकार 5.5 लाख टन तोतापुरी आम खरीदने के लिए ₹220 करोड़ खर्च करेगी।
- IUCN के अनुसार तोतापुरी आम संकटग्रस्त नहीं है, परन्तु किसानों की आजीविका पर निर्भरता अधिक है।
कर्नाटक का विरोध और संभावित टकराव
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मुख्य सचिव शालिनी रजनीश ने क्रमशः 11 और 10 जून को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस आदेश को वापस लेने की अपील की है। उनका कहना है कि इस निर्णय से विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों के किसान गंभीर आर्थिक संकट में पड़ गए हैं।
सिद्धारमैया ने इसे सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ बताया और चेतावनी दी कि यदि यह प्रतिबंध जारी रहता है, तो कर्नाटक के किसान आंध्र से सब्ज़ियों और अन्य कृषि उत्पादों की बिक्री पर प्रतिकारात्मक रोक लगा सकते हैं, जिससे राज्यों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
यह विवाद ऐसे समय में हुआ है जब दोनों राज्यों की सत्ता में अलग-अलग दल हैं — कर्नाटक में कांग्रेस और आंध्र में तेलुगु देशम पार्टी (TDP), जो केंद्र में भाजपा की सहयोगी है। इस राजनीतिक भिन्नता ने भी विवाद को तूल दिया है।
इस टकराव का समाधान राज्यों के बीच संवाद और सहमति से ही निकल सकता है, ताकि किसानों की आजीविका और अंतर-राज्यीय आर्थिक समन्वय दोनों सुरक्षित रह सकें।