तेल कीमतों में 9% गिरावट: वैश्विक आपूर्ति पर खतरा टला, भारत को राहत की उम्मीद
 
लगातार एक सप्ताह तक ऊपर बढ़ती रही कच्चे तेल की कीमतों में सोमवार को 9% तक की भारी गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट के पीछे प्रमुख कारण था ईरान द्वारा स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद न करने का निर्णय और अमेरिका द्वारा ईरान-इज़राइल संघर्ष में संघर्षविराम की घोषणा। इस घटनाक्रम का असर न केवल वैश्विक बाज़ारों में दिखा, बल्कि भारत जैसे आयात-निर्भर देशों के लिए राहत की उम्मीदें भी बढ़ीं।
क्यों गिरे तेल के दाम?
- ईरान ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले को प्राथमिकता दी, न कि तेल परिवहन मार्गों को बाधित करने को।
- स्ट्रेट ऑफ होर्मुज, जिससे दुनिया के कुल तेल आपूर्ति का एक-चौथाई गुजरता है, सुरक्षित बना रहा।
- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संघर्षविराम की घोषणा की, जिससे मध्य पूर्व में तनाव कम होने की संभावना बनी।
- नतीजतन, ब्रेंट क्रूड की कीमत $67.44 प्रति बैरल पर आ गई, जो पिछले दिन से 5.6% और कुल मिलाकर 9% की गिरावट थी।
तेल कंपनियों पर असर
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अपस्ट्रीम कंपनियाँ (जैसे ONGC, Oil India) जो तेल का खनन करती हैं, उन्हें नुकसान हुआ क्योंकि उत्पादन लागत स्थिर रहती है, लेकिन बिक्री मूल्य घट जाता है।
- मंगलवार को ONGC का शेयर 2.94% और ऑयल इंडिया का 5.6% गिरा।
 
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डाउनस्ट्रीम कंपनियाँ (जैसे IOC, BPCL, HPCL) जो तेल को शुद्ध करके बेचती हैं, उन्हें लाभ हुआ क्योंकि उन्हें कच्चा तेल सस्ते में मिल रहा है।
- उनके शेयर क्रमशः 2.04%, 1.92% और 3.24% चढ़े।
 
भारत पर संभावित असर
- EY-Parthenon के ऊर्जा विशेषज्ञ गौरव मोडा के अनुसार, यदि कीमतें $65/बैरल से नीचे जाती हैं, तो घरेलू ईंधन कीमतों में गिरावट की संभावना बनती है।
- भारत ने हाल के वर्षों में तेल आपूर्ति के स्रोतों का विविधीकरण किया है और पर्याप्त भंडारण भी किया है, जिससे वैश्विक अस्थिरता का प्रभाव सीमित रहेगा।
- पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि भारत का अधिकांश तेल आयात स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से होकर नहीं आता, और भारतीय तेल कंपनियों के पास कई हफ्तों का भंडार है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- स्ट्रेट ऑफ होर्मुज एक प्रमुख वैश्विक तेल परिवहन मार्ग है, जो खाड़ी देशों को दुनिया से जोड़ता है।
- ब्रेंट क्रूड वैश्विक कच्चे तेल मूल्य का प्रमुख बेंचमार्क है।
- अपस्ट्रीम = तेल खोज और उत्पादन | डाउनस्ट्रीम = शोधन और वितरण
- भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है।
मध्य पूर्व में तनाव कम होने और तेल मार्गों की सुरक्षा से वैश्विक बाजारों में स्थिरता आई है। भारत के लिए यह स्थिति राहत भरी हो सकती है, लेकिन सतर्कता बरकरार रखनी होगी क्योंकि संघर्षविराम अभी पूरी तरह स्थिर नहीं है। यदि यह दिशा बरकरार रही तो आने वाले समय में देशवासियों को ईंधन की कीमतों में राहत मिल सकती है।
        
        Originally written on 
        June 26, 2025 
        and last modified on 
        June 26, 2025.     
 	  
	  
                
