तेलंगाना में ‘ऑपरेशन मुस्कान-XI’ के तहत 7,678 बच्चों को बचाया गया

तेलंगाना में जुलाई 2025 के दौरान चलाए गए एक महीने लंबे ‘ऑपरेशन मुस्कान-XI’ के तहत कुल 7,678 बच्चों को शोषण और जोखिमपूर्ण परिस्थितियों से बचाया गया। यह अभियान राज्यभर में 1 जुलाई से 31 जुलाई तक आयोजित किया गया, जिसमें 121 सब-डिवीजनल पुलिस टीमों और 786 पुलिसकर्मियों ने भाग लिया। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के इस समन्वित प्रयास में कई विभागों और स्वयंसेवी संगठनों की सक्रिय भागीदारी रही।
बच्चों को बचाने के लिए राज्यव्यापी समन्वित प्रयास
यह विशेष अभियान रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, ईंट भट्टों, मैकेनिक की दुकानों, निर्माण स्थलों, चाय की दुकानों और धार्मिक स्थलों जैसे उच्च-जोखिम क्षेत्रों पर केंद्रित रहा। इसमें महिला विकास और बाल कल्याण विभाग, श्रम और स्वास्थ्य विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाइयाँ, बाल कल्याण समितियाँ और एनजीओ ने अहम भूमिका निभाई।
बचाए गए कुल बच्चों में 7,149 लड़के और 529 लड़कियाँ थीं। इनमें से 3,787 बच्चे तेलंगाना राज्य से बाहर के थे और 3,783 बच्चे नेपाल से थे। यह संख्या राज्य की सीमाओं से परे बाल श्रम और तस्करी की गंभीरता को दर्शाती है।
चौंकाने वाले आंकड़े और कड़ी कार्रवाई
- कुल बचाए गए बच्चों में से 6,718 बच्चे बाल श्रम में संलिप्त पाए गए।
- 357 बच्चे सड़क पर जीवन व्यतीत कर रहे थे, 42 भीख मांगते हुए मिले और 2 बंधुआ मजदूरी में लगे थे।
- 559 बच्चे अन्य खतरनाक और शोषणात्मक कामों में लगे पाए गए।
कानूनी कार्रवाई के तहत 1,713 प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गईं और 1,718 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से 1,745 बच्चों को अपराध संबंधी जांच के आधार पर बचाया गया।
हैदराबाद में 1,247 बच्चों को रेस्क्यू किया गया
हैदराबाद शहर में भी विशेष अभियान चलाया गया, जिसमें 28 डिवीजनल टीमों ने सामूहिक रूप से 1,247 बच्चों को बचाया। इनमें 1,173 लड़के और 74 लड़कियाँ थीं। 673 बच्चे तेलंगाना से जबकि 560 अन्य राज्यों से थे, और 14 बच्चे नेपाल के नागरिक पाए गए। इन बच्चों को उचित पुनर्वास और परामर्श के लिए संबंधित अधिकारियों को सौंपा गया।
हैदराबाद पुलिस ने 55 प्राथमिकी दर्ज कीं और 939 मामलों में न्यूनतम वेतन अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई कर ₹47.76 लाख का जुर्माना लगाया गया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ऑपरेशन मुस्कान की शुरुआत 2015 में की गई थी, जिसका उद्देश्य लापता और शोषित बच्चों को बचाना है।
- बाल श्रम (प्रतिबंधन और विनियमन) अधिनियम 1986 भारत में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के काम पर रोक लगाता है।
- न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के अंतर्गत बच्चों से काम कराना दंडनीय अपराध है।
- तेलंगाना में इस बार 2,600 प्रवासी बच्चों को 29 शहरी ब्रिज स्कूलों में नामांकित किया गया।
पुनर्वास और शिक्षा की दिशा में कदम
बचाए गए 6,593 बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया गया, जबकि 1,049 बच्चों को देखरेख गृहों में भेजा गया। साथ ही, 2,600 प्रवासी बच्चों को राज्य के 29 शहरी ब्रिज स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया ताकि वे शिक्षा के मुख्यधारा में लौट सकें।
‘ऑपरेशन मुस्कान-XI’ तेलंगाना में बाल सुरक्षा और पुनर्वास की दिशा में एक सशक्त पहल बनकर उभरा है। यह अभियान यह स्पष्ट करता है कि यदि विभिन्न विभाग और संस्थाएं एकजुट होकर कार्य करें, तो बच्चों के जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।