तेनकासी में ‘गोल्डन जैकल एम्बेसडर’ योजना से वन्यजीव संरक्षण को नई दिशा
तमिलनाडु के तेनकासी जिले में वन विभाग जल्द ही एक नई संरक्षण योजना शुरू करने जा रहा है, जिसका उद्देश्य तेजी से घट रही गोल्डन जैकल (सुनहरी सियार) की आबादी को बचाना है। अनियंत्रित निर्माण कार्यों और प्राकृतिक वनस्पति के हटने से छोटे वन्यजीवों के आवास नष्ट हो रहे हैं, जिससे उनका अस्तित्व खतरे में है। इस संकट से निपटने के लिए स्कूल और कॉलेज के छात्रों को ‘गोल्डन जैकल एम्बेसडर’ के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे जनजागरूकता बढ़ाने और बचाव कार्यों में सहयोग कर सकें।
छोटे वन्यजीवों की घटती आबादी
वन अधिकारियों के अनुसार, गोल्डन जैकल के साथ-साथ नेवले, चींटीखोर (Ant-eater), कछुए, साँप और मॉनिटर लिज़र्ड जैसी कई प्रजातियाँ भी तेजी से घट रही हैं। इनके प्राकृतिक आवासों के सिकुड़ने और आम जनता में संरक्षण के प्रति जानकारी की कमी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। नई योजना का उद्देश्य समुदायों में इन अल्पज्ञात प्रजातियों की सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना है।
‘गोल्डन जैकल एम्बेसडर’ की भूमिका
इस कार्यक्रम के अंतर्गत चुने गए विद्यार्थी वन्यजीव संरक्षण पर संरचित प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद उन्हें प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा और वे लोगों को गोल्डन जैकल की सुरक्षा के प्रति जागरूक करेंगे। साथ ही, वे घायल या संकटग्रस्त जानवरों के बचाव और पुनर्वास अभियानों में भी सक्रिय भागीदारी निभाएँगे। यह पहल ऐसे युवाओं का एक स्थानीय नेटवर्क तैयार करने की दिशा में है जो वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को दीर्घकालिक रूप से समर्थन दे सकें।
समुदाय आधारित पिछली योजनाओं की सफलता
तेनकासी जिले की ‘फ्रेंड्स ऑफ एलीफेंट्स’ योजना पहले ही जनसहभागिता की प्रभावशीलता दिखा चुकी है। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों ने हाथियों की गतिविधियों की जानकारी तुरंत वन विभाग को देना शुरू किया, जिससे मानव-हाथी संघर्षों में कमी आई। साथ ही, हाथियों के लिए पर्याप्त भोजन सुनिश्चित करने हेतु वन क्षेत्रों में स्थानीय पौधों की खेती को भी बढ़ावा दिया गया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- तेनकासी जिला स्कूल और कॉलेजों के लिए ‘गोल्डन जैकल एम्बेसडर’ योजना शुरू कर रहा है।
- गोल्डन जैकल की आबादी निर्माण कार्यों और आवास हानि के कारण घट रही है।
- यह पहल ‘फ्रेंड्स ऑफ एलीफेंट्स’ योजना की सफलता के बाद शुरू की जा रही है।
- नेवले, चींटीखोर और कछुए जैसे छोटे वन्यजीव भी घटते आवासों से प्रभावित हैं।
दीर्घकालिक संरक्षण जागरूकता की दिशा में कदम
इस कार्यक्रम के माध्यम से वन विभाग छात्रों और समुदायों को सक्रिय भागीदार बनाकर छोटे वन्यजीवों की घटती संख्या को रोकने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। युवाओं की भागीदारी से न केवल संवेदनशील नागरिक चेतना विकसित होगी बल्कि मानव और पारिस्थितिक तंत्र के बीच सह-अस्तित्व को भी सुदृढ़ किया जा सकेगा। यह पहल भविष्य के लिए एक स्थायी वन्यजीव संरक्षण संस्कृति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।