तीन दशक बाद गुजरात फिर से बाघ राज्य घोषित, रतनमहल अभयारण्य में बाघ की पुष्टि
तीन दशक से अधिक समय बाद गुजरात को औपचारिक रूप से भारत के बाघों की आधिकारिक सीमा में फिर से शामिल किया गया है। यह निर्णय दाहोद जिले के रतनमहल अभयारण्य में एक बाघ की फोटोग्राफिक पुष्टि के बाद लिया गया, जो राज्य के वन्यजीव इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अब गुजरात को ऑल-इंडिया टाइगर एस्टिमेशन (AITE) 2026 में शामिल किया जाएगा।
रतनमहल अभयारण्य में बाघ की स्थायी उपस्थिति
वन अधिकारियों के अनुसार, लगभग चार वर्षीय बाघ पिछले दस महीनों से रतनमहल अभयारण्य में रह रहा है। फरवरी के मध्य में यह बाघ रतनमहल–मध्यप्रदेश सीमा क्षेत्र में दिखा और अब तक उसी क्षेत्र में स्थिर गतिविधि दर्ज की गई है।
- कैमरा ट्रैप और सीसीटीवी फुटेज ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह कोई अस्थायी भ्रमण नहीं है।
- बाघ ने इस क्षेत्र को स्थायी आवास बना लिया है।
NTCA के निर्देश और बाघ गणना की तैयारी
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) ने पुष्टि के बाद रतनमहल में बाघ संरक्षण उपायों के निर्देश दिए हैं।
- अब गुजरात–मध्यप्रदेश सीमा पर कैमरा ट्रैप आधारित बाघ गणना की जाएगी।
- AITE 2026 की शुरुआत हाल ही में इंदौर से हुई है, जिसमें गुजरात भी शामिल रहेगा।
- बाघ को रेडियो कॉलर पहनाया जाएगा और धारी-पैटर्न सॉफ्टवेयर की मदद से निगरानी की जाएगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ऑल-इंडिया टाइगर एस्टिमेशन (AITE) हर चार वर्ष में NTCA की देखरेख में होता है।
- रतनमहल अभयारण्य गुजरात के दाहोद जिले में स्थित है।
- बाघों की पैटर्न आधारित पहचान प्रणाली राष्ट्रीय स्तर पर उनके मूवमेंट ट्रैकिंग में प्रयोग की जाती है।
- टाइगर रिजर्व घोषित करने से पहले पर्याप्त शिकार आधार (prey base) की पुष्टि अनिवार्य है।
गुजरात का टाइगर मैप में पुनः प्रवेश
गुजरात अंतिम बार 1989 की राष्ट्रीय बाघ गणना में शामिल था, जब केवल पगमार्क दर्ज किए गए थे लेकिन कोई प्रत्यक्ष दर्शन नहीं हुआ था। 1992 में राज्य को बाहर कर दिया गया और तब से टाइगर मैप से हटाया गया था।
- 2019 में एक बार संभावित बाघ की पुष्टि हुई थी लेकिन वह बाघ केवल 15 दिन ही जीवित रहा।
- इस बार की स्थिति अलग है क्योंकि बाघ की उपस्थिति लंबे समय से दर्ज की जा रही है।
भविष्य की योजनाएँ और सीमा पार निगरानी
अधिकारियों ने बताया कि:
- मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले में भी सर्वेक्षण किया जाएगा, क्योंकि वहाँ बाघ की आवाजाही देखी गई है।
- गुजरात ने NTCA से रतनमहल को टाइगर रिजर्व घोषित करने में मदद मांगी है।
- मादा बाघिन के स्थानांतरण (translocation) पर फैसला उपयुक्त शिकार संख्या के सर्वेक्षण के बाद लिया जाएगा, ताकि प्राकृतिक पारिस्थितिकी संतुलन और दीर्घकालिक संरक्षण सुनिश्चित हो सके।
गुजरात के लिए यह अवसर बाघ संरक्षण और पारिस्थितिकी प्रबंधन के क्षेत्र में एक नवीन शुरुआत है, जो न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्य को भी सुदृढ़ करेगा।