तिलारी हेयरी स्नेल: कोल्हापुर के जंगलों से खोजी गई एक नई प्रजाति

हाल ही में ठाकरें वाइल्डलाइफ फाउंडेशन के शोधकर्ताओं ने कोल्हापुर जिले के सदाबहार तिलारी जंगलों में घोंघे की एक नई और दुर्लभ प्रजाति की खोज की है, जिसे “तिलारी हेयरी स्नेल” नाम दिया गया है। इस जीव का वैज्ञानिक नाम Lagocheilus hayaomiyazakii sp. nov. रखा गया है, जो प्रसिद्ध जापानी एनिमेटर और स्टूडियो घिबली के सह-संस्थापक हायाओ मियाज़ाकी के सम्मान में रखा गया है। यह खोज पश्चिमी घाट के जैव विविधता भंडार में एक और दुर्लभ रत्न के जुड़ने का संकेत है।
तिलारी हेयरी स्नेल की विशेषताएं
इस छोटे और बालों जैसे रोंयों से युक्त घोंघे की प्रजाति को तिलारी के अर्ध-सदाबहार जंगलों में पत्तों की झाड़ियों और चट्टानों के बीच पाया गया। यह पहली बार है जब Lagocheilus वंश का कोई जीव पश्चिमी घाट के उत्तरी क्षेत्र में दर्ज किया गया है, जिससे इसकी ज्ञात वितरण सीमा 540 किलोमीटर उत्तर की ओर बढ़ गई है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, इन स्नेल्स का रहवास क्षेत्र बेहद सीमित है और वनों की कटाई तथा जंगल की आग जैसे मानवीय प्रभाव इनके अस्तित्व के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। यह प्रजाति न केवल जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र में इसकी भूमिका को समझने के लिए और अधिक गहन अनुसंधान की आवश्यकता है।
खोज के पीछे के वैज्ञानिक
यह खोज अमृत भोसले, तेजस ठाकरे, स्वप्निल पवार और अक्षय खंडेकर (ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन) और डॉ. दिनार्ज़ार्डे रहीम (राजराटा यूनिवर्सिटी, श्रीलंका) के सामूहिक प्रयासों से संभव हुई। संबंधित शोध आलेख 14 अक्टूबर को Journal of Conchology में प्रकाशित हुआ, जो यूनाइटेड किंगडम की Conchological Society का प्रकाशन है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- Lagocheilus hayaomiyazakii पहली बार पश्चिमी घाट के उत्तर भाग में दर्ज हुई Lagocheilus वंश की प्रजाति है।
- इस घोंघे का नाम जापानी फिल्म निर्देशक हायाओ मियाज़ाकी के नाम पर रखा गया है, जिनकी फिल्मों में प्रकृति और मानव का गहरा संबंध दर्शाया गया है।
- तिलारी क्षेत्र, कोल्हापुर जिले के पश्चिमी घाट में स्थित है और यह जैव विविधता से भरपूर एक सदाबहार वन क्षेत्र है।
- पश्चिमी घाट को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है और यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक है।