तिरुविरम्पुलई- आबत्सकयार मंदिर, नीडमंगलम, तमिलनाडु

तिरुविरम्पुलई- आबत्सकयार मंदिर, नीडमंगलम, तमिलनाडु

तिरुविरम्पुलई मंदिर को एक ‘गुरुस्तलम’ माना जाता है, जहाँ दक्षिणामूर्ति को बड़ी श्रद्धा के साथ रखा जाता है। दक्षिणामूर्ति की उत्सव छवि और इस स्तम्भ को चोल क्षेत्र के नौ नवग्रह स्तम्भों में से एक माना जाता है। यह तीर्थस्थल कावेरी नदी के दक्षिण में चोल क्षेत्र में तेवरा स्थलम की श्रृंखला में 98 वां है।

किंवदंती- दक्षिणामूर्ति ने समुद्र मंथन के बाद निकले विष के प्रभाव में बेहोश होकर गिरे देवताओं को उपदेश दिया। पार्वती का अमृता पुष्करिणी के तट पर पुनर्जन्म हुआ और बाद में शिव के साथ उनका पुनर्मिलन हुआ। माना जाता है कि विश्वामित्र ने यहां शिव की पूजा की थी।

मंदिर: लगभग 1.25 एकड़ के क्षेत्र में स्थित इस मंदिर में 15 मंदिर हैं, जो चारों ओर से ऊँची दीवारों से घिरा हुआ है। मंदिर के अंदर एक मंदिर स्थित है और इसे ज्ञान कूपम कहा जाता है। मंदिर के पूर्व में पूलैवाला नदी है, इसके जल का उपयोग अभिषेकम में किया जाता है। विक्रम चोल (1131) के शिलालेख, अलंकुडी को जनानाथ के रूप में संदर्भित करते हैं। सूर्य, गुरुमोक्षेश्वर, सोमनाथार, सप्तऋषि नाथार, सोमेश्वर, विष्णुनाथर और भीमेसर, कासी विश्वनाथ और विशालाक्षी को समर्पित मंदिर हैं।

त्यौहार: वार्षिक भ्रामोत्सवम चिट्टिराई के महीने में मनाया जाता है। इसके अलावा, नवरात्रि, स्कंद षष्ठी, आदी पुरम, अरुद्र दरिसनम, कार्तिकई दीपम, थाई पोसम और पानकुनी उथथिरम यहां मनाए जाते हैं।

Originally written on April 16, 2019 and last modified on April 16, 2019.

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