तिरुमालापुरम खुदाई: पश्चिमी घाट के निकट लोहे युग की संस्कृति के प्रमाण

तमिलनाडु के तेनकासी ज़िले में स्थित तिरुमालापुरम में हाल ही में की गई पुरातात्विक खुदाई ने एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक खोज को उजागर किया है। तमिलनाडु राज्य पुरातत्व विभाग (TNSDA) द्वारा प्रारंभ की गई इस खुदाई के पहले चरण में पश्चिमी घाट के समीप लोहे युग (Iron Age) की संस्कृति के प्रमाण मिले हैं। प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, यह स्थल तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के प्रारंभिक या मध्य काल का हो सकता है, जो अडिचनाल्लूर और शिवगलै जैसे प्रसिद्ध स्थलों से मेल खाता है।
35 एकड़ में फैला प्राचीन दफन स्थल
TNSDA द्वारा जारी रिपोर्ट “आर्कियोलॉजिकल एक्स्कावेशंस इन तमिलनाडु: ए प्रीलिमिनरी रिपोर्ट” के अनुसार, यह दफन स्थल लगभग 35 एकड़ में फैला हुआ है और तिरुमालापुरम गांव से 10 किमी उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित है। यह स्थल दो मौसमी जलधाराओं के बीच स्थित है, जो पश्चिमी घाट की ओर से उत्पन्न होती हैं।
पहले चरण की खुदाई में 37 खाइयाँ खोदी गईं, जिनसे कई महत्त्वपूर्ण पुरावशेष प्राप्त हुए:
- पत्थर की पट्टियों से बना एक आयताकार चैंबर जिसमें कलशों के साथ दफन क्रियाएं हुई थीं — यह तमिलनाडु में पहली बार पाया गया है।
- यह चैंबर 35 पत्थर की पट्टियों से बना था और 1.5 मीटर गहराई तक कंकड़ पत्थरों से भरा हुआ था।
विशिष्ट मृद्भांड और चित्रकारी
खुदाई में विभिन्न प्रकार के मृद्भांड मिले हैं, जिनमें शामिल हैं:
- ब्लैक एंड रेड वेयर
- रेड वेयर
- रेड-स्लिप्ड वेयर
- ब्लैक-पॉलिश्ड वेयर
- कोर्स रेड वेयर
इनमें से कुछ बर्तनों पर सफेद रंग से बनाए गए चित्र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। यह शैली पहले केवल टी. कल्लुपट्टी, अडिचनाल्लूर, शिवगलै, थुलुकरपट्टी और कोर्काई जैसे स्थलों पर पाई गई थी।
प्रतीकों और धातु पुरावशेषों की खोज
तिरुमालापुरम की खुदाई में सबसे आश्चर्यजनक खोज कलशों पर उकेरे गए प्रतीक रहे। एक रेड-स्लिप्ड बर्तन पर बिंदुओं से बनी मानव आकृति, पर्वत, हिरण और कछुए जैसे चित्र मिले हैं। इसके अतिरिक्त कुल 78 प्राचीन वस्तुएं मिली हैं, जिनमें शामिल हैं:
- हड्डी, सोना, कांसा और लोहा से बनी वस्तुएं
- तलवार, भाला, कुल्हाड़ी, चाकू, चिमटी, छेनी, तीरों के सिरे
- 0.49 मीटर गहराई पर एक कलश से मिले तीन लघु स्वर्ण मुद्राएं, जिनका व्यास केवल 4.8 मिमी और वजन एक मिलीग्राम से भी कम है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- तिरुमालापुरम स्थल की प्रारंभिक तिथि तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व मानी जा रही है।
- अडिचनाल्लूर और शिवगलै जैसे स्थलों की तुलना में यह खुदाई भी लोहे युग से संबंधित मानी जा रही है।
- यह तमिलनाडु में पहली बार है जब पत्थर की पट्टियों से बना चैंबर और कलश दफन एक साथ पाए गए हैं।
- कलशों पर चित्रित प्रतीकात्मक दृश्य (मानव, जानवर, प्रकृति) इस क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि दर्शाते हैं।