तरलता प्रबंधन के लिए आरबीआई के नए कदम
देश की मौजूदा तरलता और वित्तीय परिस्थितियों की समीक्षा के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने 23 दिसंबर 2025 को तरलता बढ़ाने के लिए नए उपायों की घोषणा की। इन उपायों का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में नकदी की कमी को दूर करना और विदेशी मुद्रा बाजार में दबाव को कम करना है। इसके तहत खुले बाजार परिचालन और डॉलर-रुपया स्वैप जैसे अहम कदम उठाए गए हैं।
ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) खरीद कार्यक्रम
आरबीआई द्वारा भारत सरकार की प्रतिभूतियों की कुल 2 लाख करोड़ रुपये की खरीद की जाएगी। यह ओएमओ चार समान किस्तों में 50-50 हजार करोड़ रुपये की होगी। ये नीलामियां 29 दिसंबर 2025, 5 जनवरी 2026, 12 जनवरी 2026 और 22 जनवरी 2026 को आयोजित की जाएंगी। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे बैंकिंग प्रणाली में दीर्घकालिक रुपये की तरलता बढ़ेगी, ऋण प्रवाह को समर्थन मिलेगा और अल्पकालिक मनी मार्केट दरों को स्थिर रखने में मदद मिलेगी।
डॉलर-रुपया स्वैप से विदेशी मुद्रा तरलता प्रबंधन
ओएमओ के साथ-साथ आरबीआई 13 जनवरी 2026 को 10 अरब डॉलर का डॉलर-रुपया (यूएसडी/आईएनआर) खरीद-बिक्री स्वैप भी आयोजित करेगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष होगी। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम अतिरिक्त डॉलर तरलता को समाहित करने में सहायक होगा, जिससे डॉलर-रुपया फॉरवर्ड प्रीमियम पर दबाव कम होगा। इसके अलावा, यह उपाय स्पॉट मार्केट में सीधे डॉलर बेचने की आवश्यकता घटाकर विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव को भी कम करेगा।
रुपये पर दबाव और आरबीआई का हस्तक्षेप
हाल के महीनों में रुपये पर लगातार दबाव देखा गया है, जिसका एक कारण वैश्विक कारक भी हैं, जैसे अमेरिका से जुड़े टैरिफ संबंधी मुद्दे। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2025 में केंद्रीय बैंक ने इंटर-बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में शुद्ध रूप से 11.88 अरब डॉलर की बिक्री की थी। नवीनतम आरबीआई बुलेटिन के अनुसार, इस अवधि में कुल 17.69 अरब डॉलर की खरीद और 29.56 अरब डॉलर की बिक्री दर्ज की गई।
2025 में तरलता प्रबंधन की समग्र रणनीति
वर्ष 2025 के दौरान तरलता की जरूरतों और विदेशी मुद्रा अस्थिरता से निपटने के लिए आरबीआई पहले ही लगभग 6.5 लाख करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्ड खरीद चुका है। इससे पहले 16 दिसंबर 2025 को तीन वर्ष की अवधि के लिए 5 अरब डॉलर का डॉलर-रुपया स्वैप भी किया गया था। केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट किया है कि वह बाजार की बदलती परिस्थितियों पर कड़ी नजर रखेगा और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाता रहेगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ओपन मार्केट ऑपरेशन आरबीआई द्वारा तरलता प्रबंधन का प्रमुख साधन है।
- ओएमओ के तहत सरकारी बॉन्ड की खरीद से बैंकिंग प्रणाली में रुपये की तरलता बढ़ती है।
- डॉलर-रुपया स्वैप विदेशी मुद्रा तरलता और फॉरवर्ड प्रीमियम को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- आरबीआई के स्वैप परिचालन से स्पॉट विदेशी मुद्रा भंडार पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ता।
कुल मिलाकर, आरबीआई के ये कदम बैंकिंग और विदेशी मुद्रा बाजार में संतुलन बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं और इससे आर्थिक गतिविधियों को आवश्यक समर्थन मिलने की उम्मीद है।