तमिलनाडु में महिला स्वयं सहायता समूहों को पहचान पत्र और ₹3,500 करोड़ के ऋण: महिला सशक्तिकरण की दिशा में नया अध्याय

तमिलनाडु ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के सदस्यों को पहचान पत्र और ₹3,500 करोड़ के ऋण वितरित किए हैं। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का उद्घाटन उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने 16 सितंबर 2025 को करुप्पूर इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में किया।

SHG पहचान पत्र योजना: पहला राज्य बना तमिलनाडु

तमिलनाडु न केवल 1989 में देश का पहला राज्य था जिसने महिला SHG की शुरुआत की थी, बल्कि अब यह पहचान पत्र जारी करने वाला पहला राज्य भी बन गया है। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि इस योजना की शुरुआत महिलाओं की मांग के बाद की गई, जो उन्होंने मार्च 2025 में मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के समक्ष रखी थी।
इन पहचान पत्रों के माध्यम से महिलाओं को कई सुविधाएं प्राप्त होंगी:

  • सरकारी बसों में 100 किलोमीटर तक निःशुल्क यात्रा
  • आविन, को-ऑप्टेक्स और मुख्यमंत्री मरुंधगम जैसी सरकारी दुकानों में विशेष छूट

महिला केंद्रित योजनाओं की झलक

उदयनिधि स्टालिन ने महिलाओं के लिए चल रही प्रमुख योजनाओं की जानकारी दी:

  • मगलिर विदियाल पयणम योजना के अंतर्गत पिछले 4.5 वर्षों में महिलाओं ने 770 करोड़ से अधिक यात्राएं की हैं।
  • मगलिर उरिमै थोगै योजना के तहत 1.15 करोड़ महिलाओं को प्रति माह ₹1,000 की वित्तीय सहायता दी जा रही है।
  • पात्रता मानदंडों को शिथिल कर और अधिक महिलाओं को इस योजना के अंतर्गत लाने की योजना है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • तमिलनाडु में 5 लाख से अधिक SHGs सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
  • 1989 में तमिलनाडु पहला राज्य बना जिसने महिला SHG की स्थापना की।
  • मगलिर उरिमै थोगै योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को प्रत्यक्ष नकद सहायता देना है।
  • पहचान पत्र धारक महिलाएं राज्य परिवहन में 100 किमी तक मुफ्त यात्रा कर सकेंगी।

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