तमिलनाडु को मिले पाँच नए जीआई टैग: हस्तकला और कृषि परंपरा को नई पहचान
तमिलनाडु ने अपने भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication – GI) पोर्टफोलियो का विस्तार करते हुए पाँच नए उत्पादों को प्रमाणित करवाया है। इन उत्पादों की मान्यता ने राज्य की पारंपरिक कला, कृषि धरोहर और स्थानीय कच्चे माल की विशिष्टता को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत पहचान दिलाई है। इन नई प्रविष्टियों के साथ तमिलनाडु के कुल जीआई टैग प्राप्त उत्पादों की संख्या अब 74 हो गई है।
विरासत से जुड़ी वरैयूर कॉटन साड़ियाँ
चोल साम्राज्य काल से जुड़ी वरैयूर कॉटन साड़ियाँ अपनी सूक्ष्म बुनाई कला और सादगीपूर्ण डिजाइन के लिए प्रसिद्ध हैं। पतले बॉर्डर, सीमित आकृतियों और पारंपरिक कोरवई तकनीक से बनी ये साड़ियाँ आकर्षक रंगों और ज्यामितीय पैटर्न से सजी होती हैं। देवांगा बुनकर समुदाय आज भी इन तकनीकों को संजोए हुए है। विशेष रूप से कावेरी नदी के खनिज-समृद्ध जल से इन साड़ियों के रंग और टिकाऊपन में विशेष निखार आता है।
थूयमल्ली चावल को कृषि पहचान
थूयमल्ली चावल, जिसे उसकी चमक और जैस्मिन जैसी सुगंध के लिए जाना जाता है, को उसकी पोषक गुणवत्ता और सांस्कृतिक महत्व के कारण जीआई टैग प्राप्त हुआ है। यह किस्म लगभग 135–140 दिनों में तैयार होती है और इसका उपयोग बिरयानी सहित कई पारंपरिक व्यंजनों में होता है। यह अब मुख्यतः कांचीपुरम जिले में उगाया जाता है।
अंबासमुद्रम चौप्पु सामान: खिलौना कला की पहचान
अंबासमुद्रम के चौप्पु सामान लकड़ी से बने चमकीले रंगों वाले खिलौनों को हस्तशिल्प श्रेणी में जीआई प्रमाणन मिला है। ये खिलौने पारंपरिक रूप से रसोई के छोटे बर्तनों के आकार में बनाए जाते हैं और बच्चों के लिए सुरक्षित, पर्यावरण-अनुकूल व चिकनी परत वाले होते हैं। पहले ये खिलौने सागौन और गुलाब की लकड़ी से बनाए जाते थे, जबकि अब शिल्पी रबर वुड और यूकेलिप्टस जैसी टिकाऊ लकड़ी का उपयोग करते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- तमिलनाडु के कुल जीआई टैग उत्पाद: 74
- नए उत्पाद: वरैयूर साड़ी, थूयमल्ली चावल, अंबासमुद्रम चौप्पु सामान, नमक्कल स्टोनवेयर, कविंदापडी देशी चीनी
- प्रमुख संस्थाएँ: पूमपुहार (Tamil Nadu Handicrafts Development Corporation) और राज्य कृषि निकाय
- जीआई टैग का लाभ: क्षेत्रीय विरासत की सुरक्षा और कारीगरों व किसानों की आय में वृद्धि
नमक्कल के पत्थर के बर्तन और कविंदापडी की देशी चीनी
नमक्कल स्टोनवेयर अपने टिकाऊपन और अम्लीय भोजन से अप्रभावित रहने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। ये साबुन-पत्थर से बने बर्तन इमली वाले व्यंजनों, दूध और दही के भंडारण के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। वहीं, कविंदापडी की नट्टु सरकारै (देशी चीनी) को उसके सुनहरे रंग, मिठास और पारंपरिक निर्माण विधि के कारण मान्यता दी गई है। यह क्षेत्र की आर्द्र जलवायु और नहर-आधारित गन्ना खेतों से जुड़ी विशेष परिस्थितियों में तैयार होती है।