तकनीक से जल प्रबंधन: “सुजलाम भारत” समिट में जमीनी दृष्टिकोणों की झलक

भारत में जल प्रबंधन की दिशा में एक नई पहल के अंतर्गत, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि के अनुरूप जमीनी स्तर की भागीदारी को नीति निर्धारण में सम्मिलित करने हेतु “सुजलाम भारत” समिट का आयोजन किया जा रहा है। इस श्रृंखला की छः विभागीय समिट्स में से एक, जल शक्ति मंत्रालय (MoJS) द्वारा आयोजित इस वर्चुअल कार्यशाला का प्रमुख विषय था — “प्रभावी जल प्रबंधन के लिए तकनीक”। इसका समन्वय नीति आयोग के द्वारा किया गया।
इस कार्यशाला में देश के कोने-कोने से जैसे कि लेह, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश और ओडिशा जैसे सुदूरवर्ती गांवों से ग्राम पंचायत सदस्य, जल उपयोगकर्ता संघ के प्रतिनिधि तथा NRSC, हैदराबाद जैसे संगठनों के विशेषज्ञों ने भाग लिया। इसे केंद्रीय जल आयोग (CWC) के अध्यक्ष श्री अतुल जैन की अध्यक्षता में आयोजित किया गया, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी, राज्यों के नोडल अधिकारी एवं जल प्रबंधन से जुड़े क्षेत्रीय विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

तकनीकी दृष्टिकोण से जल दक्षता की ओर

कार्यशाला की शुरुआत में राष्ट्रीय जल मिशन (NWM) की अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक श्रीमती अर्चना वर्मा ने छह विषयगत समिट्स की पृष्ठभूमि साझा करते हुए बताया कि इनका उद्देश्य जमीनी अनुभवों को नीति-निर्माण में शामिल करना है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि जल प्रबंधन में सभी हितधारकों की सहभागिता अत्यंत आवश्यक है।
CWC के सदस्य (WP&P) श्री योगेश पैठणकर ने जल की मांग प्रबंधन के प्रभावी उपायों पर अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि जल संसाधनों पर बढ़ते दबाव को कम करने हेतु नई तकनीकों को अपनाना समय की मांग है।

कृषि और सिंचाई में दक्ष तकनीकें

कार्यशाला में कृषि क्षेत्र में जल दक्षता के लिए माइक्रो इरिगेशन सिस्टम, ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर प्रणाली जैसे उपायों को बढ़ावा देने की बात कही गई। इसके साथ ही जल-संवेदनशील फसलों की खेती और फसल विविधीकरण को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
सटीक कृषि (Precision Agriculture) को अपनाने पर भी बल दिया गया, जिससे जल उपयोग की निगरानी और बचत दोनों संभव हो सके।

स्वचालन और आधुनिकरण की पहल

जल वितरण प्रणाली, विशेषकर तृतीयक नहरों के आधुनिकीकरण के साथ-साथ रिमोट सेंसिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित निगरानी प्रणाली को भी अपनाने पर चर्चा हुई। इससे जल की मात्रा, गुणवत्ता और क्षरण की निगरानी अधिक सटीक हो सकेगी।

जल संरक्षण और लेखांकन

घरेलू और औद्योगिक स्तर पर जल दक्ष उपकरणों को बढ़ावा देने, बल्क जल आपूर्ति की निगरानी और गैर-लाभकारी जल क्षति को कम करने के उपायों पर प्रकाश डाला गया। जल लेखांकन को एक प्रमुख विषय के रूप में उठाया गया, ताकि जल आवंटन और कृषि में मृदा नमी (ग्रीन वॉटर) संरक्षण पर बेहतर निर्णय लिए जा सकें।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • “सुजलाम भारत” समिट नीति आयोग और जल शक्ति मंत्रालय द्वारा मिलकर आयोजित की जा रही एक प्रमुख पहल है।
  • सटीक कृषि (Precision Agriculture) जल संसाधनों के टिकाऊ उपयोग की आधुनिक तकनीक है।
  • केंद्रीय जल आयोग (CWC) भारत में जल संसाधनों के नियोजन और प्रबंधन के लिए प्रमुख संस्था है।
  • जल लेखांकन (Water Accounting) का उद्देश्य जल की मात्रा और उपयोग की सटीक जानकारी जुटाना होता है, जिससे नीति निर्माण और संसाधन वितरण बेहतर हो सके।

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