तकनीकी मंदी (Technical Recession) क्या है?

हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने जुलाई-सितंबर तिमाही के आर्थिक आंकड़े जारी किये। NSO के आंकड़ों ने पुष्टि की है कि COVID-19 महामारी के प्रकोप के कारण भारत तकनीकी मंदी की चपेट में था।
मुख्य बिंदु
- एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, पिछली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 5% का संकुचन हुआ था।
- पिछली तिमाही से पहले, अर्थव्यवस्था में 9 प्रतिशत का संकुचन हुआ था।
- NSO के आंकड़ों से ज़ाहिर होता है कि केंद्र सरकार द्वारा वाणिज्यिक और आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिबधों को हटाया जा रहा है, इसके बावजूद भी संकुचन हुआ है।
- इसका तात्पर्य है कि, भारत ने 2020-2021 की पहली तिमाही में पहली बार “तकनीकी मंदी” में प्रवेश किया है।
तकनीकी मंदी क्या है?
- तकनीकी मंदी एक ऐसी स्थिति है जहां मंदी को प्रगति में माना जाता है और जब वास्तविक जीडीपी में लगातार दो तिमाहियों में गिरावट आई है।
- तकनीकी मंदी, मंदी से अलग है, क्योंकि “मंदी” की स्थिति में आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण संकुचन होता है।
मंदी क्या है?
यदि जीडीपी निरंतर अवधि के लिए संकुचित होती रहती है, तो माना जाता है कि अर्थव्यवस्था मंदी की स्थिति में है। हालाँकि, मंदी की एक सीमा है। विभिन्न अर्थशास्त्री मंदी की विभिन्न परिभाषाओं का उपयोग करते हैं।
कुछ लोग मंदी की स्थिति को निर्धारित करने के लिए केवल जीडीपी का उपयोग कर सकते हैं, जबकि अन्य विनिर्माण उत्पादन, खपत या रोजगार का उपयोग कर सकते हैं ताकि अर्थव्यवस्था का एक मजबूत मूल्यांकन प्रदान किया जा सके।
Originally written on
November 30, 2020
and last modified on
November 30, 2020.