तंबाकू किसानों को COP11 से बाहर रखने पर FAIFA ने WHO-FCTC के निर्णय की निंदा की
ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशंस फेडरेशन (FAIFA) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (WHO-FCTC) द्वारा तंबाकू किसानों और उनके प्रतिनिधियों को कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (COP11) से बाहर रखने के निर्णय की कड़ी आलोचना की है। यह सम्मेलन 17 से 22 नवंबर 2025 तक जिनेवा में आयोजित होने वाला है। FAIFA ने इस कदम को “अतार्किक और भेदभावपूर्ण” बताते हुए कहा कि किसानों को ऐसे मंचों से बाहर रखना, जहां उनके भविष्य से संबंधित निर्णय लिए जाते हैं, लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है।
FAIFA की आपत्तियाँ और तर्क
FAIFA के अध्यक्ष पी. एस. मुरली बाबू ने कहा कि WHO-FCTC का यह निर्णय संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन के पारदर्शिता और समावेशिता के सिद्धांतों के विपरीत है। उन्होंने याद दिलाया कि FCTC की धारा 17 और धारा 18 स्वयं किसानों की आजीविका की सुरक्षा और सतत वैकल्पिक फसलों के प्रोत्साहन की बात करती हैं। ऐसे में किसानों को संवाद से बाहर रखना इन प्रावधानों का विरोधाभास है।फेडरेशन का कहना है कि नीति निर्माण में किसानों की आवाज़ को नज़रअंदाज़ करने से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, बल्कि करोड़ों परिवारों की आजीविका भी खतरे में पड़ सकती है।
भारत का तंबाकू क्षेत्र और उसका आर्थिक महत्व
भारत तंबाकू उत्पादन में विश्व में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है और फ्ल्यू-क्योरड वर्जीनिया (FCV) तंबाकू उत्पादन में चीन, ब्राज़ील और ज़िम्बाब्वे के बाद चौथे स्थान पर आता है।भारत बिना निर्मित तंबाकू के निर्यात में भी ब्राज़ील के बाद दूसरे स्थान पर है। वित्त वर्ष 2023–24 में देश का तंबाकू निर्यात ₹12,006 करोड़ रहा। FAIFA के अनुसार, लगभग 3.6 करोड़ भारतीय तंबाकू की खेती, प्रसंस्करण और व्यापार पर अपनी आजीविका निर्भर करते हैं। यह आंकड़ा इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक महत्व को दर्शाता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- WHO-FCTC COP11 सम्मेलन 17 से 22 नवंबर 2025 तक जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में होगा।
- FAIFA पूरे भारत के तंबाकू किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन है।
- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक और निर्यातक देश है।
- लगभग 3.6 करोड़ लोग भारत में तंबाकू क्षेत्र से अपनी जीविका कमाते हैं।
किसानों की भागीदारी के लिए FAIFA की अपील
FAIFA ने पुनः आग्रह किया है कि किसानों के प्रतिनिधियों को COP11 में पर्यवेक्षक या हितधारक के रूप में भाग लेने की अनुमति दी जाए। संगठन का कहना है कि संतुलित नीतियों के लिए समावेशी संवाद आवश्यक है, जिससे स्वास्थ्य संरक्षण के लक्ष्य तो पूरे हों, परंतु किसानों की आर्थिक स्थिरता भी बनी रहे।