तंबाकू और पान मसाला पर नई कर व्यवस्था: केंद्र सरकार के दो बड़े विधेयक
केंद्र सरकार तंबाकू और पान मसाला जैसे ‘डिमेरिट गुड्स’ पर कर ढांचे को पुनर्गठित करने के लिए दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही है। जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की अवधि समाप्त होने के करीब है, ऐसे में सरकार का उद्देश्य कर बोझ को स्थिर रखते हुए एक स्थायी राजस्व स्रोत तैयार करना है। यह कदम राजकोषीय स्थिरता और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों के अनुरूप माना जा रहा है।
केंद्रीय उत्पाद शुल्क संशोधन विधेयक 2025 का उद्देश्य
यह विधेयक सिगरेट, चबाने वाला तंबाकू, हुक्का उत्पादों और समान वस्तुओं पर लगने वाले मौजूदा जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर का स्थान लेने के लिए तैयार किया गया है। इसके प्रावधान केंद्र को यह अधिकार देते हैं कि उपकर हटने के बाद भी उत्पाद शुल्क दरों में संशोधन कर कुल कर भार को लगभग समान रखा जा सके। इससे सरकार को दरों में संतुलित बदलाव करने का राजकोषीय अवकाश मिलता है और राजस्व संरक्षण भी सुनिश्चित होता है।
नए जीएसटी ढांचे की ओर बदलाव
जीएसटी संरचना के सरलीकरण के तहत 28 प्रतिशत वाले कर स्लैब को धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है। विलासिता और ‘सिन गुड्स’ को प्रस्तावित 40 प्रतिशत जीएसटी श्रेणी में लाने की तैयारी है। इस परिवर्तन के बाद तंबाकू उत्पादों पर ‘जीएसटी प्लस केंद्रीय उत्पाद शुल्क’ व्यवस्था लागू होगी, जबकि वर्तमान में यह ‘जीएसटी प्लस क्षतिपूर्ति उपकर’ के आधार पर कराधान के दायरे में आते हैं।
पान मसाला और संबंधित वस्तुओं पर नया उपकर
हेल्थ सिक्योरिटी-कम-नेशनल सिक्योरिटी उपकर विधेयक के तहत पान मसाला और अन्य अधिसूचित वस्तुओं पर एक अतिरिक्त उपकर लगाने का प्रस्ताव है। यह उपकर विनिर्माताओं पर लगाया जाएगा और जीएसटी के अतिरिक्त लागू रहेगा। इस उपकर से प्राप्त राशि को सार्वजनिक स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे उद्देश्यों की ओर निर्देशित करने की योजना है, जिससे यह उपकर वित्तीय के साथ-साथ कल्याणकारी भी बनेगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर मूल रूप से जुलाई 2017 से पाँच वर्षों के लिए था, जिसे बाद में मार्च 2026 तक बढ़ाया गया।
- 40 प्रतिशत जीएसटी स्लैब विशेष रूप से अल्ट्रा-लग्जरी और डिमेरिट गुड्स के लिए डिजाइन किया गया है।
- पान मसाला और तंबाकू विनिर्माता मशीनरी व उत्पादन प्रक्रिया की स्व-घोषणा फ़ाइल करते हैं, जो उपकर मूल्यांकन में उपयोग होती है।
- क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त होने के बाद तंबाकू उत्पाद ‘जीएसटी प्लस उत्पाद शुल्क’ व्यवस्था में स्थानांतरित होंगे।
कीमतों और राजस्व पर प्रभाव
इन विधेयकों का उद्देश्य तंबाकू और पान मसाला पर कुल कर बोझ को स्थिर रखना है, ताकि खुदरा कीमतों में अचानक उतार-चढ़ाव ना हो। इसके साथ ही, अस्थायी उपकर की जगह एक दीर्घकालिक राजस्व तंत्र स्थापित करने से केंद्र सरकार को स्थिर कर संग्रह प्राप्त होगा, विशेषकर उन ऋण दायित्वों की समाप्ति के बाद जो क्षतिपूर्ति उपकर से जुड़े हुए थे। यह समूची व्यवस्था सरकार को राजस्व संतुलन बनाए रखने और सार्वजनिक हित से जुड़े कार्यक्रमों को निरंतर वित्तीय समर्थन देने में मदद करेगी।