‘ड्रोन कवच’ अभ्यास: पूर्वी अरुणाचल में भारतीय सेना की अगली पीढ़ी की युद्ध तैयारी

भारतीय सेना की ईस्टर्न कमांड के अंतर्गत आने वाले स्पीयर कॉर्प्स ने 25 से 28 सितंबर के बीच पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम क्षेत्रों में ‘ड्रोन कवच’ नामक युद्धाभ्यास आयोजित किया। यह अभ्यास भारतीय सेना की अगली पीढ़ी की ड्रोन युद्ध तकनीक के प्रति तत्परता और आधुनिक ड्रोन व प्रतिरोध प्रणाली की प्रभावशीलता को प्रमाणित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा।
बहु-क्षेत्रीय युद्ध की तैयारी
चार दिनों तक चले इस अभ्यास में सेना के साथ-साथ अग्रिम क्षेत्रों में तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवानों ने भी भाग लिया। अभ्यास के दौरान विभिन्न सामरिक रणनीतियों, युद्ध स्थितियों और तकनीक-समृद्ध युद्धक्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसका उद्देश्य सेना की बहु-क्षेत्रीय, तकनीकी रूप से समन्वित युद्धक्षमता को परखना था।
ड्रोन तकनीक और प्रतिरोध प्रणाली का परीक्षण
‘ड्रोन कवच’ अभ्यास के तहत लक्ष्य पहचान, सक्रिय/निष्क्रिय ड्रोन विरोधी उपायों और लक्ष्य को सुनिश्चित ढंग से निष्क्रिय करने जैसी प्रक्रियाओं का परीक्षण किया गया। इकाई स्तर पर गठित नई संरचनाओं को भी व्यावहारिक परिस्थितियों में इन तकनीकों और प्रक्रियाओं के अनुकूल अभ्यास कराया गया, जिससे भविष्य के युद्ध परिदृश्यों की गहरी समझ विकसित हो सके।
स्पीयर कॉर्प्स ने फतह किया माउंट गोरीचेन
इससे पहले 19 सितंबर को भारतीय सेना की स्पीयर कॉर्प्स की एक टीम ने अरुणाचल प्रदेश की सबसे ऊंची चढ़ाई योग्य चोटी — माउंट गोरीचेन (6,488 मीटर) को सफलतापूर्वक फतह किया। यह साहसिक उपलब्धि न केवल सैनिकों की अनुशासन, सहनशीलता और अदम्य साहस का परिचायक है, बल्कि पूर्वी हिमालय की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सेना की मजबूती को दर्शाता है। यह अभियान साहसिक भावना को प्रोत्साहित करने और क्षेत्र की प्राकृतिक पवित्रता को बनाए रखने की सेना की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- माउंट गोरीचेन को “रूफ ऑफ अरुणाचल” कहा जाता है और यह तवांग जिले में स्थित है।
- स्पीयर कॉर्प्स, भारतीय सेना की पूर्वोत्तर क्षेत्र में तैनात एक प्रमुख रणनीतिक इकाई है।
- ‘ड्रोन कवच’ अभ्यास भारतीय सेना द्वारा ड्रोन युद्ध की नई रणनीतियों को अपनाने की दिशा में एक कदम है।
- भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) भारत-चीन सीमा पर तैनात एक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है, जो पर्वतीय क्षेत्रों में विशिष्ट कार्यों के लिए जाना जाता है।