डॉ. टेसी थॉमस को मिला डॉ. पॉलोस मार ग्रेगोरियोस अवार्ड 2025
भारत की “मिसाइल वूमन” के नाम से प्रसिद्ध डॉ. टेसी थॉमस को वर्ष 2025 का डॉ. पॉलोस मार ग्रेगोरियोस अवार्ड प्रदान किया गया है। यह सम्मान उन्हें रक्षा विज्ञान में उनके अग्रणी योगदान और देश की स्वदेशी मिसाइल तकनीक को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए दिया गया है। टेसी थॉमस की यात्रा एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे जिज्ञासा और समर्पण से वैज्ञानिक उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है।
बचपन से विज्ञान के प्रति जिज्ञासा
केरल के अलप्पुझा में जन्मी टेसी थॉमस बचपन से ही आकाश, चाँद और विमानों की उड़ान से मोहित थीं। स्कूल के दिनों में उन्होंने वैज्ञानिक प्रयोगों और इंजीनियरिंग की अवधारणाओं में गहरी रुचि दिखाई। यही जिज्ञासा आगे चलकर उन्हें मिसाइल तकनीक जैसे जटिल क्षेत्र में प्रवेश करने की प्रेरणा बनी। परिवार और शिक्षकों के प्रोत्साहन ने उनके वैज्ञानिक स्वप्न को आकार दिया।
भारत की रक्षा विज्ञान में उभार
टेसी थॉमस ने एक ऐसे क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई जो लंबे समय तक पुरुष-प्रधान रहा है। उन्हें उच्चस्तरीय मिसाइल अध्ययन के लिए चयनित किया गया, जहाँ उन्होंने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त किया। उनके नेतृत्व में भारत के अग्नि मिसाइल कार्यक्रम ने उल्लेखनीय प्रगति की और वह भारत की पहली महिला बनीं जिन्होंने किसी मिसाइल परियोजना का नेतृत्व किया।
वैश्विक पहचान और सम्मान
टेसी थॉमस की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ केवल भारत तक सीमित नहीं रहीं। उनके नेतृत्व ने भारत की रक्षा क्षमता को आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त बनाया। उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें एरोनॉटिकल सोसाइटी के स्पेस पायनियर हॉल ऑफ फेम में शामिल किया जाना प्रमुख है। अब यह नया पुरस्कार उनकी उपलब्धियों की लंबी सूची में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- टेसी थॉमस भारत की पहली महिला हैं जिन्होंने किसी मिसाइल परियोजना का नेतृत्व किया।
- डॉ. पॉलोस मार ग्रेगोरियोस अवार्ड द्विवार्षिक रूप से सोफिया सोसाइटी द्वारा प्रदान किया जाता है।
- उन्होंने अपने प्रारंभिक अनुसंधान प्रशिक्षण के दौरान डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के मार्गदर्शन में कार्य किया।
- उन्होंने भारत के अग्नि मिसाइल श्रृंखला के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
टेसी थॉमस की कहानी केवल व्यक्तिगत सफलता की नहीं, बल्कि उस दृष्टि की भी है जिसने भारत की वैज्ञानिक क्षमता को नई दिशा दी। उनकी उपलब्धियाँ आज लाखों युवा वैज्ञानिकों, विशेषकर महिलाओं, को प्रेरित कर रही हैं कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से विज्ञान में भी नए इतिहास रचे जा सकते हैं।