डीबीटी उर्वरक प्रणाली: किसानों को रियायती दरों पर खाद वितरण की पारदर्शी पहल

भारत सरकार ने उर्वरकों के वितरण में पारदर्शिता, दक्षता और लाभार्थी आधारित लक्षित सब्सिडी सुनिश्चित करने के लिए ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) इन फर्टिलाइजर्स’ प्रणाली लागू की है। इस प्रणाली के तहत सभी श्रेणी के किसानों — छोटे, मध्यम और बड़े — को उर्वरक ‘नो-डिनायल बेसिस’ पर रियायती दरों पर उपलब्ध कराया जा रहा है।
डीबीटी प्रणाली की कार्यप्रणाली
DBT प्रणाली के अंतर्गत:
- खुदरा दुकानों पर लगाए गए पॉइंट ऑफ सेल (PoS) उपकरणों के माध्यम से आधार प्रमाणीकरण के आधार पर उर्वरक की बिक्री की जाती है।
- उर्वरक कंपनियों को वास्तविक बिक्री के आधार पर 100% सब्सिडी सीधे सरकार से प्राप्त होती है (आयातित यूरिया को छोड़कर)।
- किसी भी आधार-प्रमाणित खरीदार को उर्वरक की बिक्री की जाती है; लाभार्थी की कोई पूर्व निर्धारित सूची नहीं है।
यूरिया पर सरकार की सब्सिडी नीति
- यूरिया को सरकार द्वारा अधिसूचित अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर बेचा जाता है।
- एक 45 किलो यूरिया बैग की कीमत ₹242 निर्धारित की गई है (नीम कोटिंग और करों को छोड़कर)।
- खेत के द्वार तक यूरिया पहुंचाने की कुल लागत और निर्माता को प्राप्त मूल्य के अंतर को सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में भरपाई की जाती है।
P&K उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति
- 1 अप्रैल 2010 से फॉस्फेटिक और पोटैशिक (P&K) उर्वरकों पर ‘न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (NBS)’ नीति लागू है।
- इसमें पोषक तत्वों की मात्रा के अनुसार प्रति वर्ष तय की गई निश्चित सब्सिडी प्रदान की जाती है।
- इन उर्वरकों का MRP बाजार के अनुसार कंपनियों द्वारा तय किया जाता है, जिसकी निगरानी सरकार करती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 (21 जुलाई 2025 तक) तक कुल उर्वरक सब्सिडी ₹6.76 लाख करोड़ से अधिक रही है।
- 2022-23 में ₹2.54 लाख करोड़, 2023-24 में ₹1.95 लाख करोड़, और 2024-25 में ₹1.77 लाख करोड़ की सब्सिडी दी गई।
- 2025-26 में अब तक ₹49,329.88 करोड़ की सब्सिडी जारी की जा चुकी है।
- यूरिया की सबसे अधिक सब्सिडी 2022-23 में ₹1.27 लाख करोड़ रही।
DBT उर्वरक प्रणाली और पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति ने भारतीय किसानों तक उर्वरकों की पहुंच को आसान और पारदर्शी बना दिया है। यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि हर पात्र किसान को बिना भेदभाव के रियायती दरों पर उर्वरक उपलब्ध हो, जिससे कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलती है।